वाराणसी: सनातन धर्म में तीन रात्रियों का विशेष महत्व माना गया है. काल रात्रि, मोहरात्रि और महारात्रि. कालरात्रि यानी दिवाली, मोहरात्रि यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और महारात्रि यानी महाशिवरात्रि और आज इसी महारात्रि का पर्व महाशिवरात्रि पूरे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. शिवालय बाबा भोले के जयकारों से गूंज उठे हैं. भोलेनाथ के विवाह के इस खास दिन को पूरा ब्रह्मांड एक अलग और अनोखे अंदाज में मनाता है.
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में इसकी भव्यता और भी बढ़ जाती है, लेकिन सबके बीच यह जानना जरूरी है कि इस बार महाशिवरात्रि क्यों खास है और कैसे की जानी चाहिए शिव की उपासना. बता दें इस बार महाशिवरात्रि पर कई वर्षों के बाद वह अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसमें शिव और सिद्धि दोनों का योग मिलेगा. यानी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिव और सिद्धि के मिलन की बेला में यह दोनों आपकी जिंदगी को बदल देंगे.
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
इस बारे में पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि 11 मार्च यानी गुरुवार को महाशिवरात्रि के पावन पर्व को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इस महाशिवरात्रि का विशेष महत्व इसलिए भी है कि इस दिन से जुड़े दो कथाएं अपने आप में प्रचलित हैं. महाशिवरात्रि को देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के विवाह के दिन के रूप में जाना जाता है. यही वजह है कि इस दिवस को महारात्रि के नाम से जाना जाता है. जिसे तंत्र साधना और सिद्धि के लिए विशेष फलदाई माना जाता है. इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग के रूप में उत्पत्ति हुई थी ब्रह्मा और विष्णु के बीच कौन बड़ा है की लड़ाई को समाप्त करने के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए भगवान शिव की उत्पत्ति के दिवस के रूप में भी महाशिवरात्रि को मनाया जाता है.
सुबह 8:23 तक होगा शिवयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि का पर्व बेहद कल्याणकारी होने वाला है, क्योंकि 11 मार्च गुरुवार को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और चतुर्दशी दोनों तिथि मिल रही हैं. ऐसे में इन दोनों तिथियों के मिलन को शिव और सिद्धि योग के रूप में जाना जाएगा. शिव और सिद्धि योग अपने आप में इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि शिव अपने आप में महादेव का नाम है और इस योग में पूजन पाठ और ॐ नमः शिवाय का जाप करना विशेष फलदाई माना जाएगा. सुबह 8:23 तक शिव योग मान्य रहेगा.