वाराणसी: महादेव की नगरी काशी को विद्वानों का शहर कहा जाता है. यहां पर अनेक ऐसे विद्वान हैं जिन्होंने काशी के विद्वत परंपरा को आगे बढ़ाया है. उन्हीं में से एक विद्वान महामहोपाध्याय पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी भी थे. जिनका शुक्रवार देर रात निधन हो गया. शनिवार को वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर पूरे विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार किया गया. महामहोपाध्याय पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी के निधन से काशी की विद्वत परंपरा को एक अपूरणीय क्षति हुई है. इससे काशी के विद्वान समाज में शोक की लहर है.
आधुनिक महाकवि कालिदास के नाम से है प्रसिद्ध
पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी का जन्म मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के नांदेड़ गांव में हुआ था. नवीन साहित्य शास्त्र के स्थापना में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इनको 1979 में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था जा चुका है. इसके साथ ही इन्हें उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से विश्व भारती सम्मान और राष्ट्र की कई संस्थाओं के द्वारा अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया है. पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी को आधुनिक महाकवि कालिदास की उपाधि से भी अलंकृत किया गया है. पंडित रेवा प्रसाद द्विवेदी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म संकाय में पूर्व संकाय अध्यक्ष के स्वरूप में अपनी सेवा दी. इसके साथ ही यह इन्होंने अनेक ग्रंथों और महाकाव्य की रचना की है.