वाराणसी: तीनों लोक से न्यारी काशी देश ही नहीं, बल्कि सात समंदर पार से भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. कहा जाता है कि विश्व की काशी प्राचीनतम जीवित शहर है. महाशिवरात्रि के पर्व पर भेलूपुर थाना अंतर्गत गौरी केदारेश्वर मंदिर में दर्शन करने के लिए भारत के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. ज्यादातर लोग साउथ इंडिया के इस मंदिर में दर्शन करते हैं. इसीलिए बनारस के लोग बोलचाल की भाषा में इसे साउथ का मंदिर भी कहते हैं.
वाराणसी: गौरी केदारेश्वर मंदिर में लगी भक्तों की कतार, देश के कोने-कोने से पहुंच रहे श्रद्धालु
देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. शिवालायों में भोले बाबा के भक्त पूजा-अर्चना कर रहे हैं. इसी कड़ी में वाराणसी के गौरी केदारेश्वर मंदिर में भक्त दूर-दूर से आ रहे हैं.
मान्यता है कि जब भगवान शिव काशी आए तो उनके साथ 12 ज्योतिर्लिंग काशी में आकर स्थापित हो गए. गौरी केदारेश्वर मंदिर उत्तराखंड केदारनाथ मंदिर का पूरक माना जाता है. मंदिर में दर्शन करने के लिए लोग खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
केदारेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी आनंद गुरु बताते है कि महाशिवरात्रि के दिन बाबा का दर्शन करने का विशेष महत्व है, जो भी व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ बाबा का दर्शन करता है, उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है. काशी के केदारखंड का अति महत्व वेदों में बताया गया है.