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द्वितीय नवरात्रि: इस तरह करें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा, पढ़ें मंत्र, विधि और प्रसाद

मां ब्रह्मचारिणी की महिमा किसी से छुपी नहीं है और आप उनके आशीर्वाद को पाकर जीवन में ज्ञान हासिल कर सकते हैं. नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है. शास्‍त्रों में मां एक हर रूप की पूजा विधि और कथा का महत्‍व बताया गया है. मां ब्रह्मचारिणी की कथा जीवन के कठिन क्षणों में भक्‍तों को संबल देती है.

मां ब्रह्मचारिणी

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Published : Sep 30, 2019, 3:29 AM IST

वाराणसी: नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती हैं. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति हैं. देवी ब्रह्मचारिणी, पार्वती का ही रूप है, जिन्होंने शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था, इसी के चलते उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की समस्त समस्याओं और परेशानियां खत्म होती हैं. अत्यन्त मनोहर रूप की देवी कहीं जाने वाली माता अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं. मंगल ग्रह पर आधिपत्य रखने वाली ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्मत्व स्वरूपा हैं. ब्रह्मचारिणी का स्वरुप पार्वती का वो चरित्र है जब उन्होंने शिव अर्थात ब्रह्म को साधने हेतु तप किया था.

मां ब्रह्मचारिणी को कहा जाता है संयम की देवी
वहीं ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने जानकारी दी कि माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही अद्वितीय है, सफेद वस्त्र धारण किए माता ब्रह्मचारिणी ब्रह्मचर्य, सदाचार के साथ नियमित होने का पाठ पढ़ाती हैं. हाथों में कमल, रुद्राक्ष की माला और कमंडल लिए माता के स्वरूप की पूजा शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है. देवी भागवत में वर्णित है कि देवी ब्रह्मचारिणी पार्वती का ही रूप है. जिन्होंने महादेव को पाने के लिए कठोर तप किया और सदाचार और नियमित होकर उसका पालन किया, जिसकी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. जीवन की समस्त बाधाओं को दूर करने का काम माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन मात्र से ही होता है. मां ब्रह्मचारिणी को साक्षात ब्रहमत्व का स्वरूप माना जाता है.

सिद्धि प्राप्ति के लिए करें मां ब्रह्मचारिणी की कथा

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जानिए कैसा है माता स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ मे जप की माला होती है और बांए हाथ मे कमंडल रहता है. देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है. ये देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध है.

मां ब्रह्मचारिणी को भक्त चढ़ाए कमल का पुष्प
माता ब्रह्मचारिणी को कमल का पुष्प व सफेद फूल बेहद पसंद है. इसलिए उनकी आराधना विशेष तौर पर कमल से फूल से करना विशेष फलदाई माना जाता है इसके साथ ही माता ब्रह्मचारिणी को नारियल से बनी मिठाईयों का भोग लगाने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

इस मंत्र से करें देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना
दधाना करपद्माभ्यामक्ष माला कमंडलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिणय नुत्तमा।

इस मंत्र से भक्त लगाये ध्यान
वंदे वांछित लाभयचंद्रर्घ्रकृत शेखराम।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम।

ये चढ़ाये देवी ब्रह्मचारिणी को
सफेद पुष्प के साथ कमल के पुष्पों से आराधना विशेष फलदाई होगी. माता ब्रह्मचारिणी को रुद्राक्ष बेहद पसंद है इसलिए उनको रुद्राक्ष की माला यदि संभव हो तो चढ़ाएं यदि रुद्राक्ष की माला ना हो तो कम से कम एक दाना रुद्राक्ष का उन्हें अर्पित जरूर करें. इसके साथ ही साथ माता ब्रह्मचारिणी के आगे नारियल की बनी मिठाईयों का भोग लगाएं और एक नारियल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.


जानिए माता ब्रह्मचारिणी के आराधना का महत्व
देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य मे तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. जीवन की कठिन समय मे भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है. देवी अपने साधको की मलिनता, दुर्गुणों ओर दोषो को दूर करती है. देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय प्राप्त होती है,

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