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काशी में खुला मां अन्नपूर्णा का स्वर्णमई दरबार, वर्ष में सिर्फ 4 दिन होते हैं दर्शन, बंटता है खास खजाना

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Published : Oct 23, 2022, 10:13 AM IST

आज रविवार सुबह 4 बजे से देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन-पूजन शुरू हो गया. देवी अन्नपूर्णा के शृंगार और मंगला आरती के बाद से मंदिर के कपाट खोल दिए गए. यह एकमात्र मंदिर है जहां साल भर में सिर्फ चार दिन तक मां के दर्शन होते हैं.

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देवी अन्नपूर्णा का मंदिर

वाराणसी: काशी को बाबा विश्वनाथ माता अन्नपूर्णा की नगरी के रूप में जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि काशी में कभी कोई भूखा नहीं रहता. काशी में अन्नपूर्णा का आशीर्वाद जिसे मिल जाए उसका घर धन-धान्य से भरा रहता है. इसी मान्यता के साथ दीपावली के मौके पर धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक माता अन्नपूर्णा के इस स्वर्णमई स्वरूप के दर्शन भक्तों को मिलते हैं. आज रविवार की सुबह भोर की आरती के साथ ही भक्तों के लिए माता के मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. दर्शन करने के साथ ही खजाना पाकर श्रद्धालु अपने आप को भाग्यशाली मान रहे हैं. इसके अतिरिक्त श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में कनाडा से लाई गई माता की प्रतिमा के दर्शन के साथ ही यहां भी खजाने का वितरण किया जा रहा है.

आज भोर 4 बजे से देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दुर्लभ दर्शन-पूजन शुरू हो गया है. श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के समीप स्थित मंदिर में देवी अन्नपूर्णा के शृंगार और मंगला आरती के बाद से उनके मंदिर के कपाट खोल दिए गए. यह एकमात्र देवी अन्नपूर्णा का मंदिर है जहां साल भर में सिर्फ चार दिन यानी धनतेरस से अन्नकूट तक मां का खजाना बांटा जाता है. इसके अलावा, पहली बार श्रीकाशी विश्वनाथ धाम स्थित देवी अन्नपूर्णा के मंदिर से भी भक्तों को खजाना बांटा जा रहा है.

काशी में खुला मां अन्नपूर्णा का स्वर्णमई दरबार, श्रद्धालु ने दी जानकारी
पुराणों के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा तीनों लोकों की अन्न की माता हैं. मां अन्नपूर्णा ने स्वयं भोलेनाथ को भोजन कराया था. अन्नपूर्णा मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत की रचना करने के बाद ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी. मंदिर से जुड़ी यह मान्यता भी है कि काशी में भीषण अकाल पड़ा था तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान कर उनसे भिक्षा मांगी थी. तब मां अन्नपूर्णा ने यह कहा था कि काशी में अब कोई भूखा नहीं सोएगा.मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि यह देश का इकलौता मंदिर है जो श्रीयंत्र के आकार का है. यह हिंदुस्तान का एक अकेला मंदिर है जहां माता अन्नपूर्णेश्वरी देवी, माता भूमि देवी और माता लक्ष्मी देवी एक साथ स्वर्णमयी स्वरूप में विराजमान हैं. उनके पास ही भोलेनाथ की चांदी की प्रतिमा है. इन तीनों देवियों के एक साथ दर्शन से सुख-समृद्धि मिलती है. मंदिर के महंत का कहना है कि, 4 दिनों तक होने वाले दर्शन के साथ ही यहां पर विशेष खजाने का वितरण किया जाता है.

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इस खजाने को पाने के लिए ही भक्तों में सबसे ज्यादा उत्साह होता है. इसमें भक्तों को माता के चढ़े हुए सिक्के और धान का लावा प्रसाद में दिया जाता है. इस बार चांदी के विशेष सिक्के भी बांटे जा रहे हैं. इन सिक्कों और धान के लावे को अपने घर या दुकान या संस्थान में ले जाकर धन और धान्य की कोठरी में रखने से वर्ष भर कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है.

महंत शंकर पुरी ने बताया कि मंदिर के प्रथम तल में देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के सामने भोले बाबा भिक्षा मांग रहे हैं. धनतेरस की उदया तिथि में आज रविवार भोर के समय 3 बजे मंदिर में पूजा शुरू हुई. 4 बजे भक्तों के लिए कपाट खोल दिया गया था. भक्तों को प्रसाद स्वरूप चांदी के सिक्के दिए जा रहे हैं. आज और कल सोमवार की सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक भक्त दर्शन-पूजन करेंगे. 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के कारण दोपहर 2 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. मोक्ष के एक घंटे बाद रात 7:30 बजे मंदिर के कपाट फिर खोल दिए जाएंगे. 26 अक्टूबर को अन्नकूट मनाया जाएगा और देवी अन्नपूर्णा को 56 प्रकार का भोग लगाया जाएगा. उस दिन भी सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन-पूजन होगा.

पहली बार श्रीकाशी विश्वनाथ धाम स्थित अन्नपूर्णा मंदिर से भी अन्न-धन का खजाना बांटा जा रहा है. इस परंपरा की शुरुआत आज भोर 4 बजे अभिजीत मुहूर्त में हुई. आरती के बाद देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा और पिछले साल 108 साल बाद कनाडा से वापस आई देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा का दर्शन शुरू हुआ. यही नहीं इस बार एक ही परिसर में देवी अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ के दर्शन भी भक्त कर रहे हैं. दर्शनार्थियों को खजाना स्वरूप सिक्के और लावा वितरित किया जा रहा है.देवी अन्नपूर्णा के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की लाइन बीती 21 अक्टूबर की रात से ही लग गई थी. रविवार की भोर मंदिर के कपाट खुले तो भक्तों का हुजूम अनियंत्रित हो गया. पुलिस ने भारी मशक्कत के बाद श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने में सफलता पाई. कुछेक जगह पुलिस को सड़क पर लाठी पटक कर श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करना पड़ा. देवी अन्नपूर्णा के दर्शन को देखते हुए गोदौलिया से मैदागिन तक का इलाका नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है. उधर, इस बार पहली बार देवी अन्नपूर्णा के दर्शन की व्यवस्था दो जगह होने के कारण कई श्रद्धालु असमंजस की स्थिति में भी दिखे कि प्राचीन मंदिर आखिरकार कौन सा है.

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