वाराणसी:सोशल मीडिया पर आप बहुत सी पॉलिटिकल पोस्ट देखते होंगे. इसमें कांग्रेस, भाजपा, समाजावदी पार्टी के अलावा कई अन्य पार्टियों के पोस्ट होते हैं. कई तरह के विश्लेषण होते हैं, जिनमें विरोधी पार्टी का निगेटिव प्रचार किया जा रहा होता है. दरअसल, यह पीआर (पब्लिक रिलेशन) मैनेजमेंट होता है, जो पॉलिटिकल पार्टियों की इमेज बनाने का काम करता है. लेकिन, क्या आपको पता है कि आजकल ये कैंपेन चलाने वाले लोग IIT-BHU से भी हायर किए जा रहे हैं. नेशन विथ नमो जैसी कंपनियों ने कैंपस प्लेसमेंट में छात्रों का इंटरव्यू किया है.
आजकल युवा सरकारी नौकरियों की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं. ऐसा दौर शुरू से ही रहा है. लेकिन, अभी जो दौर है, वह कोरोना के बाद का दौर है. कोरोना काल में कई निजी कंपनियों ने बहुत बड़ी संख्या में छटनी की थी. बजट की दिक्कत और इनकम प्रभावित होने की बात के सहारे अच्छी सैलरी पर काम कर रहे युवाओं को नौकरी से निकाल दिया था. ऐसे में एक बार फिर निजी कंपनियों का हायरिंग का दौर चल पड़ा है. लेकिन, बड़ी बात ये है कि इस बार IIT-BHU में प्लेसमेंट के लिए पहुंची कंपनियों में पॉलिटिकल पीआर की कंपनियां भी हैं, जो IIT से छात्रों को हायर कर रही हैं.
कैंपस से पीआर कंपनियों ने किया चयन
इस बारे में IIT-BHU के प्रो. सुशांत श्रीवास्तव से बात की. उन्होंने बताया कि इस बार कैंपस में पॉलिटिकल पीआर की कंपनियां आई हुई हैं. इन कंपनियों ने कैंपस इंटरव्यू कर 5 से 6 बच्चों का चयन किया है. इतना ही नहीं उन्हें अच्छे पैकेज भी ऑफर किए हैं. ये कंपनियां पॉलिटिकल पार्टियों के पीआर के लिए काम करती हैं. ऐसे में जिन छात्रों का चयन हुआ है, उन्हें एनालिस्ट की पोस्ट ऑफर की गई है. ये बच्चे डाटा एनालिसिस का काम करेंगे. साथ ही इन कंपनियों की पॉलिटिकल स्ट्रेटजी को मजबूत करने में मदद करेंगे.
पहली बार आई नेशन विथ नमो
प्रो. श्रीवास्तव बताते हैं कि नेशन विथ नमो कंपनी कैंपस में पहली बार आई है, जबकि I-PAC पिछले साल भी कैंपस इंटरव्यू और प्लेसमेंट के लिए आई थी. इस बार दोनों की कंपनियों में छात्र अच्छी सैलरी पर गए हैं. एनालिस्ट, जूनियर एनालिस्ट और सीनियर एनालिस्ट के पदों पर इन बच्चों का चयन हुआ है. कंपनियों ने 20 लाख तक का पैकेज दिया है. इन कंपनियों में जॉब पाकर बच्चे काफी खुश हैं और उत्साहित भी हैं. इसकी वजह ये भी है कि पहली बार इस तरह का पॉलिटिकल माहौल और काम करने का तरीका उन्हें पता चलने जा रहा है.
इन विषयों के छात्रों की बढ़ रही मांग