वाराणसी: उत्तर प्रदेश को दिल्ली की गद्दी का सबसे महत्वपूर्ण रास्ता माना जाता है. 2024 के चुनावों से पहले एक तरफ जहां विपक्षी दल महागठबंधन बनाने में जुटे हैं तो समाजवादी पार्टी की भी भारतीय जनता पार्टी को कमजोर करने के लिए दूसरे राज्यों की पार्टियों के साथ गठजोड़ करने के लिए परेशान हैं. इन सबके बीच अखिलेश यादव भले ही दौड़-दूप करके खुद को मजबूत करने में जुटे हैं. लेकिन, बीजेपी उनके प्लान पर पानी फेरने में जुटी हुई है और पूर्वांचल में तो बीजेपी ने एक ही तीर से कई निशाना साधा है. भारतीय जनता पार्टी ने बनारस में समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष समेत पूर्वांचल के कई कद्दावर समाजवादी पार्टी के नेताओं को एक ही झटके में अपने पाले में खींच लिया है. इसमें से कई बड़े नेताओं ने लखनऊ पहुंचकर सपा से रिजाइन कर बीजेपी का दामन थामा है.
मिशन 2024 में भाजपा को कड़ी टक्कर देने का सपना देख रहे विपक्ष को अपना कुनबा संभालना मुश्किल हो गया है. प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में सपा को एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे हैं. इस बार काशी क्षेत्र अंतर्गत कई जिलों के दिग्गज नेता भाजपा में शामिल हो गए. इसके साथ ही काशी क्षेत्र को संगठन विस्तार की मुहिम में बड़ी सफलता मिली है. शामिल होने वालों में पूर्व मंत्री, विधायक समेत विधायक प्रत्याशी ने भाजपा की सदस्यता ली.
पूर्वांचल है महत्वपूर्ण
2024 के लोकसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों में पूर्वांचल की हर सीट पर राजनीतिक दलों की विशेष नजर है. क्योंकि, बीजेपी की नजर सबसे ज्यादा लोकसभा सीट पर उत्तर प्रदेश में ही टिकी हुई है और समाजवादी पार्टी यूपी और पूर्वांचल को अपना गण मानती रही है. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में बीजेपी 2024 में सभी सीटों पर जीत दर्ज करने की तैयारी में है और समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के अलावा अन्य छोटे दल भी अलग से ताल ठोक रहे हैं. हालांकि, अभी विपक्षी महागठबंधन की तैयारी में है. लेकिन, यह आगे क्लियर होगा.
2019 के लोकसभा चुनावों पर अगर गौर करें तो भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी दलों को करारी पटखनी देते हुए 78 सीटों का चुनाव लड़ा था और 62 सीटों पर जीत भी दर्ज की थी, जबकि बीजेपी के सहयोगी अपना दल एस को 2 सीटों पर जीत मिली थी. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने कोई करिश्मा नहीं दिखाया था और इन दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा फिर भी इन्हें 10 सीटें ही हासिल हुई थीं. कांग्रेस को तो 2019 के चुनाव में ऐसा झटका लगा कि राहुल गांधी अपनी पारंपरिक अमेठी सीट से चुनाव हार गए. सिर्फ रायबरेली सीट से कांग्रेस को जीत मिली थी. समाजवादी पार्टी ने जिन 5 सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें पूर्वांचल आजमगढ़ की अकेली सीट थी, जबकि मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी सीट पर डिंपल यादव ने चुनाव जीता. शायद यही वजह है कि पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी को और कमजोर करने के लिए बीजेपी ने बड़े नेताओं को तोड़ने का मास्टर प्लान तैयार किया है.