वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विधि संकाय में शुक्रवार को प्रो. हरिहरनाथ त्रिपाठी व्याख्यानमाला की श्रृंखला का चौथे व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें ‘पर्यावरण एवं सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका’ विषय पर सर्वोच्च न्यायालय की ग्रीन बेंच में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से ही मनोनीत विशेषज्ञ और अधिवक्ता एडीएन राव ने अपना स्मृति व्याख्यान डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दिया.
एडीएन राव ने पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के लिए मूलरूप से आर्थिक एवं विकासवादी निर्भरता को माना. उनका मत था कि 1980 के दशक से जनहित याचिकाओं के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय ने जो संज्ञान लेने का क्रम जारी रखा है, वह अतुलनीय है. कार्यपालिका के अधिकांश कार्य सर्वोच्च न्यायालय ने अपने जिम्मे लेते हुए पर्यावरण संतुलन को प्राथमिकता दी है. मूलरूप से पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता अवैध खनन, जंगलों एवं शहरों में वृक्षों की कटाई और अनियोजित विकास पर्यावरण असंतुलन को सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न आदेशों से रोकने का प्रयास किया है.