वाराणसी: श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले को लेकर कानूनी घमासान के बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है. इसके लिए अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156-3 के तहत कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है. इस पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम उज्जवल उपाध्याय की अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. अधिवक्ता की मांग है कि अदालत तीनों नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दे. तीनों नेताओं के बयानों से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.
मामले अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने बताया कि वजू खाना या मस्जिद का वो हिस्सा, जहां शिवलिंग मिला है, वह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है. लेकिन इसके बाद भी राजनेता और मुस्लिम पक्ष के लोग लगातार उसे फव्वारा कहकर हिंदू लोगों की भावनाओं को आहत कर रहे हैं. हाल ही में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया है कि किसी पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर लगा कर झंडा लगा दो तो वहीं मंदिर बन जाता है. वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है, जो सालों से बंद पड़ा है. इससे जनसमुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी शिवलिंग के खिलाफ लगातार अपमानजनक बयान दे रहे हैं. इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रहीं हैं. अधिवक्ता का आरोप है कि बीती 6 मई को ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में नमाजियों ने हाथ-पैर धोया, कुल्ला किया और थूका. जबकि वहां हमारे विश्वनाथ थे. इससे भी लाखों-करोड़ो लोगों को कष्ट पहुंचा है. वजूखाने में मिले शिवलिंग को फव्वारा कहकर हम सनातन धर्मियों की भावना को कष्ट पहुंचाया जा रहा है. इसके चलते सभी को असहनीय कष्ट है.