वाराणसी:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी कोरोना के कहर से कराह रहा है. कोरोना से लोगों की हो रही मौतों का आलम यह है कि प्रशासन को गंगा किनारे अतिरिक्त श्मशान घाट बनाने पड़े. इसके बावजूद शवों की लाइनें लग रही हैं. हालात देख यकीन नहीं होता कि वाराणसी का वही मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट है, जहां की जलती चिताओं का नजारा देखने विश्व भर से पर्यटक आते हैं और लोगों के मन में यहीं मरने की ख्वाहिश होती है. लोगों के मन में रहता है कि यहां मौत न हो तो कम से कम अंतिम संस्कार यहीं हो, यह तमन्ना तो हिंदू धर्म में सभी की होती है. आज उन्हीं घाटों पर वर्षों से रह रहे लोग कहते हैं कि एक दिन में इतनी चिताएं जलते हुए उन्होंने आजतक नहीं देखी.
जिले के कलेक्टर भरोसा दे तो रहे हैं कि हम हालात सुधारने का पूरा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के लिए भटकते परिजन और तड़पते मरीजों की हालत देख उनके भरोसे से भी डर लगने लगा है. क्योंकि अगले ही क्षण जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा यह भी कहते हैं कि वर्तमान में 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में हो पा रही है. ऐसे में आधुनिक क्योटो (जापान की राजधानी) बनने की राह पर चला ऐतिहासिक शहर बनारस पिछले 6 वर्षों में लोगों को समुचित चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराने की स्थिति में भी पहुंचा है, इसका जवाब कोरोना के बेकाबू होते आंकडे और गंगा किनारे जलती चिताएं दे रही हैं. जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने यहां के अस्पतालों से लेकर श्मशान घाटों तक का मुआयना किया, जहां के दृश्यों को देख कलेजा पसीज जाए. वाराणसी में कोरोना के कुल मामले 63 हजार 237 हो चुके हैं, जिनमें 44 हजार लोग ठीक चुके हैं, साथ ही सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 529 लोग जान गंवा चुके हैं, लेकिन श्मशान घाट का नजारा देख सरकारी आंकड़ों पर यकीन आसानी से नहीं होता.
हर दिन जल रही हैं सैकड़ों लाशें, लोग अपनी बारी का कर रहे इंतजार
वाराणसी में सरकारी आंकड़ों की बात करें तो हर दिन लगभग 10 मौतें होती हैं, लेकिन मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर जलने वाली चिताओं की बात कर लें तो हर दिन सैकड़ों की संख्या में यहां दाह संस्कार किये जा रहे हैं. आलम यह है कि शव जलाते-जलाते विद्युत शवदाह ग्रह की चिमनिया पिघल गईं हैं. दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की भी कमी पड़ रही है. अब वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर कोरोना संक्रमित मरीजों का दाह संस्कार नहीं किया जा रहा है, फिर भी शवों की कतार लगी हुई है. हालांकि, मोक्ष प्राप्ति की लालसा में यहां अन्य जिलों के भी शव लाए जाते हैं. वर्तमान में हरिश्चंद्र घाट पर लगने वाले शवों की कतार को रोकने के लिए प्रशासन ने सामने घाट पर अस्थाई शवदाह केंद्र भी बनाया है. यहां पर हर दिन लोगों की भीड़ जुटी रहती है. दाह संस्कार करने आए लोगों का कहना है कि हमें शवदाह करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इसके साथ ही यहां के लोगों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है. यदि कोई कोरोना पेशेंट है तो स्थिति और भी बदतर है, ऐसी स्थिति में एक तो दाह संस्कार के लिए मनमानी रकम वसूली जा रही है, दूसरा यदि कंधा देने वाले नहीं हैं तो कंधा देने के लिए भी पैसे की मांग की जा रही है.
दीनदयाल अस्पताल में तीमारदारों की परेशानी
यह हाल तो धार्मिक राजधानी कही जाने वाली वाराणसी के श्मशानों का है. वाराणसी के अस्पतालों की स्थिति तो इससे भी बदतर है. वाराणसी में आस-पास के जिलों से भी अपने परिजनों का इलाज कराने अस्पताल पहुंचतें हैं. ऐसे में यहां तीमारदारों को चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में दर-दर भटकना पड़ रहा है. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कराने और डॉक्टर को दिखाने में काफी मशक्कत हो रही है. लंबे इंतजार के बाद तो नंबर आ रहा है. उस पर भी डॉक्टर भर्ती करने से मना कर दे रहे हैं. ऐसे में हम अपने मरीज को लेकर जाएं तो जाएं कहां.
अभी भी है ऑक्सीजन की किल्लत
ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आईं डॉक्टर श्रद्धा सिंह कहती हैं कि वर्तमान में ऑक्सीजन की बहुत कमी है. उन्होंने बताया कि मेरी मां की तबीयत काफी खराब रहती है. मुझे कभी भी इसकी आवश्यकता पड़ सकती है इसलिए मैं एहतियात के तौर पर यहां सिलेंडर भरवाने आई हूं. मुझे यहां ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. अभी भी ऑक्सीजन की दिक्कत है, जिसकी वजह से होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज काफी परेशान हैं.
अधिकारी नहीं कर रहे कोई मदद
सामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी त्रिपाठी बताते हैं कि 10 दिनों से मैं हर दिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया में रहता हूं. जब वाराणसी में बने कोविड कमांड सेंटर पर फोन करके वेंटिलेटर,ऑक्सीजन के लिए बात करता हूं तो वहां से सिर्फ आश्वासन मिलता है. उसके बाद मरीज की किसी प्रकार से कोई मदद नहीं मिलती. यह एक दिन की बात नहीं है बल्कि हर दिन यही स्थिति है. व्यवस्था सुधारने के लिए भले ही जिला प्रशासन ने हर जगह नोडल व सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी हो लेकिन इसका प्रभाव बिल्कुल उलट पड़ रहा है. सभी अधिकारी अपना फोन बंद करके पड़े हुए हैं. मरीज इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. कोई मदद करने वाला नहीं है.
आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी
मंडलीय चिकित्सालय के प्रभारी सीएमएस डॉ. हरिचरण ने बताया कि वर्तमान समय में मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पताल में ओपीडी का संचालन किया जा रहा है. हमारे यहां कोरोना टेस्ट कराया जाता है. यदि मरीज संक्रमित आता है तो उसे कोविड अस्पताल में भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में अस्पताल में 125 होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं. यहां पर गंभीर मरीजों को रखा जाता है. इसके साथ ही वैक्सीनेशन का काम भी जोरों पर चल रहा है. इससे लोगों को इस महामारी से सुरक्षित रखा जा सके. यहां ऑक्सीजन की कमी ना हो इसलिए ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बढ़ाई गई है. साथ ही आगामी दिनों में अस्पताल परिसर में जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट में स्थापित हो जाएगा.