वाराणसी: कोरोना महामारी की रफ्तार अभी थमी ही थी कि अब डेंगू ने पैर पसारना शुरू कर दिया. प्रदेश के कई जिलों के हालात बेहद खराब हैं. वाराणसी में तो सभी सरकारी अस्पतालों के वार्ड भर चुके हैं. अब तक 75 मरीजों में डेंगू की पुष्टी हो चुकी है. 770 मरीज संदिग्ध मिले हैं. कुछ मरीजों ने दम भी तोड़ दिया है. लगातार मरीजों के बढ़ते ग्राफ ने एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है तो वहीं अस्पतालों मेंं प्लेटलेट्स की मांग भी 4 गुना बढ़ गई है.
डेंगू मुख्य रूप से एडीज एजिप्टीमच्छर के काटने से होता है. आयुर्वेद डेंगू में काफी कारगर है और यही वजह है कि इन दिनों लोग ऐलोपैथिक के साथ साथ आयुर्वेद में भी डेंगू का इलाज करवा रहे हैं. डेंगू क्या है, इससे किस प्रकार से बचें, क्या प्राथमिक उपचार हैं, आयुर्वेद में इसका क्या इलाज है आदि विषयों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने राजकीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार गुप्ता से बातचीत की.
फैलने के कारण
डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून को जब मच्छर पीता है तो खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है. जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे दूसरा व्यक्ति भी पीड़ित हो जाता है.
डेंगू से जंग में आयुर्वेद है कारगर, जानें क्या है फायदे - varanasi news
डेंगू बीमारी का उपचार आयुर्वेद में संभव है. यानी कि आयुर्वेदिक दवाओं के माध्यम से हम डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं. आयुर्वेदिक दवाएं किस प्रकार डेंगू बीमारी में कारगर हैं. इसे लेकर वाराणसी के राजकीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार गुप्ता से बातचीत की गई. जानिए उन्होंने क्या कुछ जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि मच्छर के काटे जाने के करीब 3 से 5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं. उसके लक्षण बीमारी के आधार पर अलग-अलग होते हैं. मुख्य रूप से डेंगू तीन तरह का होता है. क्लासिकल डेंगू बुखार, डेंगू हेमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम.
उन्होंने बताया कि साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और जान जाने का खतरा नहीं होता, लेकिन डेंगू हेमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम अधिक घातक होता है. इससे मरीज के जान का भी खतरा रहता है.