वाराणसी:आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान पौष्टिकता छोड़कर आसानी से उपलब्ध चीजों पर ज्यादा विश्वास करने लगा है. शायद यही वजह है कि तेजी से बदल रहे वक्त में अब घरों तक पहुंचने वाले गाय और भैंस के दूध की जगह पैकेट बंद दूध ने ले ली है. वहीं जिले में भी अब तेजी से पैकेट बंद दूध की सप्लाई होने लगी है. पहले जिले में सिर्फ एक पैकेट बंद दूध की फैक्ट्री थी. वहीं वर्तमान में कई फैक्ट्रियां यहां संचालित हो रही हैं.
जानिए पैकेट बंद और खुले दूध में कौन सा है उत्तम. - इस समय बाजार में दो तरह के दूध मौजूद हैं. एक सीधे गोशाला या डेरी से आने वाला दूध और दूसरा पैकेट बंद दूध.
- वर्तमान समय में पैकेट बंद दूध तेजी से लोगों के बीच अपनी पैठ बना चुका है.
- बनारस की 25% से ज्यादा आबादी अब पैकेट बंद दूध पर निर्भर हो चुकी है.
- चाय की दुकानों पर भी अब खुले दूध की जगह पैकेट बंद दूध का इस्तेमाल होता दिख रहा है.
जानिए क्या है डॉक्टरों की राय
वाराणसी के एक फेमस हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर एम पाठक का कहना है कि पैकेट बंद दूध को हमेशा से कमजोर माना जाएगा. इसको किन परिस्थितियों में तैयार किया जाता है, पैकेट बनाने की डेट क्या होती है और इसमें कितना पोषण मौजूद होता है इसकी नियमित जांच होना बहुत महत्वपूर्ण है. जो बड़ी कंपनियां हैं वह तो मानक का ध्यान रखती हैं, लेकिन छोटी कंपनियां इस पर ध्यान नहीं देती हैं. कैल्शियम, विटामिन, फास्फोरस और फैट की मात्रा को कम कर देने की वजह से पैकेट बंद दूध स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं होता.
वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सीनियर डॉक्टर पीसी शर्मा का कहना है कि बाजार में खुले दूध और पैकेट बंद दूध दोनों मौजूद हैं. पैकेट बंद दूध की तुलना में आज भी गाय और भैंसों से मिलने वाला दूध पौष्टिक और काफी बेहतर माना जाता है.
खुले दूध और पैकेट बंद में अंतर-
- डॉक्टर्स की मानें तो खुले दूध और पैकेट बंद दूध में काफी अंतर होता है.
- खुला दूध यदि बेहतर डेयरी और सरकारी निगरानी में सप्लाई हो रहा है तो इसमें कैल्शियम, मिनरल, फास्फोरस की भरपूर मात्रा पाई जाती है.
- पैकेट बंद दूध की स्थिति तब बेहतर है जब उस पर सरकारी निगरानी सही तरीके से हो.
- पैकेट बंद दूध किस तिथि में बन रहा है और कब तक वह सही रहेगा इसकी जानकारी बेहद जरूरी है.
- निर्धारित तिथि तक वह दूध बिक जाए यह ज्यादा जरूरी माना जाता है. पैकेट में बंद होने की वजह से दूध खराब है या ठीक है इसकी जानकारी कर पाना मुश्किल है.
- इसकी वजह से कई बार खराब दूध भी इस्तेमाल में आ जाता है, जो नुकसानदायक है.