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दीपावली 2019: मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इन मुहूर्त का रखें ध्यान, ऐसे करें पूजा-पाठ - लक्ष्मी गणेश पूजन

हिन्दुओं के सभी पर्वों में दीपावली का सबसे अधिक महत्व है. इस पर्व पर धन की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनका पूजन किया जाता है. मान्यता है कि सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में सही विधि-विधान से लक्ष्मी का पूजन कर लिया जाए तो लक्ष्मी कृपा से घर में धन और धान्य की कमी नहीं होती है.

दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन से नहीं होती धन की कमी.

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Published : Oct 27, 2019, 10:20 AM IST

वाराणसी:आज प्रकाश पर्व दीपावली का दिन है. रविवार को पूरे देश में धूमधाम से दीपावली मनाया जा रहा है. माता लक्ष्मी संग भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए विशेष लग्न और पूजा के सही विधान का विशेष महत्व होता है. सबसे महत्वपूर्ण होता है अमावस्या का सही वक्त और इसी दौरान माता लक्ष्मी की आराधना किया जाना. जानिए इस बार किस लग्न में किस समय करें मां लक्ष्मी की आराधना और कैसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न.

दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन से नहीं होती धन की कमी.


गोधूलि बेला में करें दीपावली की पूजा
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय ने बताया कि अमावस्या तिथि 27 अक्टूबर यानी रविवार के दिन दोपहर 12 बजे के बाद मिल रही है. इस तिथि का मान प्रदोष काल यानी शाम को गोधूलि बेला में ज्यादा मान रखता है. गोधूलि बेला यानी 7 बजे से लेकर 9 बजे के बीच का वक्त. यदि स्थिर लग्न में पूजा करना चाहते हैं तो दीपावली के दिन गोधूलि बेला का वक्त सबसे उत्तम माना जाता है. वैसे तो अमावस्या का मान 12 बजे के बाद रविवार को पूरा दिन है. इसलिए माता लक्ष्मी की आराधना पूरा दिन की जा सकती है, लेकिन लोग स्थिर लग्न में आराधना करना विशेष फलदायी मानते हैं.


जानिए किस लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा करना होगा फलदायी
चार विशेष लग्न हैं, जिनमें माता लक्ष्मी की आराधना करना विशेष रूप से फलदायी होगा. पहला वृश्चिक लग्न है जो सुबह 8 बजे से लेकर 10:15 तक का है. दूसरा कुंभ लग्न है जो 2:10 से लेकर 3:40 तक मान्य होगा. तीसरा स्थिर लग्न के रूप में वृष लग्न है जो शाम 7:46 से लेकर 8:45 तक होगा. यह लग्न प्रदोष काल में गोधूलि बेला में मिलने वाला सबसे उत्तम लग्न माना जाता है. इसके अलावा भी बहुत से लग्ने हैं, जिनमें पूजा की जा सकती है. इतना ही नहीं यदि वृश्चिक लग्न यानी सुबह 8 बजे से लेकर 10:15 बजे तक वाले लग्न में पूजा करना चाहते हैं तो यह भी लग्न उत्तम है. क्योंकि वृश्चिक में रहते हुए चतुर्दशी और अमावस्या का योग दीपावली पर बन रहा है.

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दीपावली पर करें गणेश-लक्ष्मी और कुबेर का पूजन
प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय का कहना है कि वैसे दीपावली के दिन गोधूलि बेला प्रदोष काल में ही सबसे उत्तम पूजा विधान होता है. यह समय शाम 7:46 से 8:45 का है, क्योंकि दोपहर के वक्त दीया जलाना कोई नहीं चाहता, इसीलिए शाम का यह वक्त पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय ने बताया कि आज के दिन गणेश-लक्ष्मी और कुबेर का पूजन सबसे ज्यादा फलदायी होता है. सबसे पहले माता लक्ष्मी और गणेश जी का ध्यान करना होता है. इसमें गणेश की आराधना सबसे पहले की जाएगी, जिसके लिए पुष्प हाथ में लेकर 'गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जंबू फलचारु भक्षणम उमा सुतं शोक विनाश कारकम नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम' के साथ गणेश जी का आवाहन करें और 'ओम गन गणपतए नमः' का उच्चारण करते हुए अक्षत और पुष्प गणेश जी पर छोड़ दें. इसके बाद विधि-विधान से माता लक्ष्मी और गणेश का पूजन करें

लक्ष्मी पूजा के लिए इन मुहूर्त का रखें ध्यान

  • स्थिर लग्न में पहला वृश्चिक लग्न सुबह 8:00 बजे से लेकर 10:15 तक का है.
  • दूसरा स्थिर लग्न कुंभ लग्न के रूप में दोपहर 2:10 से लेकर 3:40 तक होगा.
  • तीसरा स्थिर लग्न वृष लग्न जिसे गोधूलि बेला प्रदोष काल में माना जाता है. यह लग्न शाम 7:46 से रात 8:45 तक मान्य होगा.
  • अमावस्या तिथि 27 अक्टूबर रविवार को 11:51 पर लग रही है, जो 28 अक्टूबर सोमवार को सुबह 9:43 तक मान्य है.
  • विद्वानों का मत है कि वैसे तो 27 की दोपहर से लेकर 28 की सुबह 9:43 तक दीपावली का पूजन किसी भी वक्त किया जा सकता है, लेकिन स्थिर लग्न में इन तीनों लग्न का विशेष महत्व होगा.

पूजा सामग्री में करें इन चीजों को शामिल
माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए आज पूजा सामग्री में लाल वस्त्र का होना बेहद जरूरी होता है. विद्वानों के अनुसार लाल वस्त्र आसन पर लक्ष्मी-गणेश. कुबेर इंद्र की प्रतिमाओं को स्थापित कर पंचोपचार और षोडशोपचार विधि से इनका पूजन विशेष फलदायी है. लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बेल की लकड़ी, बेल की पत्ती, बेल के फल से हवन करना चाहिए. इसके अलावा कमल पुष्प और कमल गट्टा से किया गया हवन भी विशेष फलदायी माना जाता है.

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इन मंत्रों से करें देवी को प्रसन्न
ओम श्रीम श्रीयै नमः।।
या श्री स्वयं सुकृति नाम भवनेश लक्ष्मी, पापतमनाम कृतधियाम हृदयेश बुद्धि, श्रद्धा सतां कुलजंस्य प्रभवस्य लज्जा, ताम त्वाम नातासम परिपालय देवी विश्वम।।

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