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खादी ग्रामोद्योग के इस कदम से स्मार्ट होगा व्यापार, रोजगार के खुलेंगे द्वार - Varanasi News

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में खादी को एक नई उड़ान देने के लिए खादी प्लाजा बनाया जाने वाला हैं. खास बात यह है कि यह प्लाजा एक स्मार्ट सेंटर की तरह होगा जहां न सिर्फ खादी के वस्त्र बल्कि इससे जुड़े सभी उत्पाद उपलब्ध रहेंगे.

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वाराणसी में खादी प्लाजा

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Published : May 28, 2022, 10:26 PM IST

वाराणसी : खादी के विकास के लिए सरकार लगातार तमाम योजनाओं का संचालन कर रही हैं ताकि जन-जन तक इसकी पहुंच को सुनिश्चित किया जा सके. इसी क्रम में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में खादी को एक नई उड़ान देने के लिए खादी प्लाजा बनाया जाने वाला हैं. खास बात यह है कि यह प्लाजा एक स्मार्ट सेंटर की तरह होगा जहां न सिर्फ खादी के वस्त्र बल्कि इससे जुड़े सभी उत्पाद उपलब्ध रहेंगे.

वाराणसी में खादी प्लाजा

बता दें कि 25 करोड़ की लागत से यह प्लाजा वाराणसी के तेलियाबाग से खादी ग्रामोद्योग के परिसर में बनाया जाने वाला है जिसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है. इसे लेकर खाद्य निदेशक डीके भाटी ने बताया कि लगातार प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा खादी की ब्रांडिंग की जा रही है. इसके तहत तमाम योजनाओं का भी संचालन किया जा रहा है. इसी क्रम में खादी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वाराणसी में खादी प्लाजा बनाए जाने की कवायद शुरू हो चुकी है. इससे जहां एक ओर एक ही छत के नीचे खादी के अलग-अलग सामान उपलब्ध होंगे. वहीं, रोजगार का भी सृजन होगा. उन्होंने बताया कि खादी प्लाजा बनने तक हम एक अन्य छोटा स्मार्ट सेंटर बना रहे है जहां इस तरह की सुविधा उपलब्ध रहेगी. ये सेंटर जून के अंत तक आरंभ हो जाएगा.

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खादी संस्था से जुड़े संदीप सिंह ने बताया कि सरकार की यह पहल बेहद सार्थक है. निश्चित तौर पर इससे कारीगरों को भी खासा लाभ मिलेगा. इससे एक बेहतर बाजार उपलब्ध होगा और ग्रामीण अंचल के लोग भी अपनी सहभागिता दर्ज करा सकेंगे. उन्होंने कहा कि यह बाजार के साथ-साथ रोजगार सर्जन करने का भी एक बड़ा साधन बनेगा.

गौरतलब हो कि खादी 2014 के बाद एक बड़े ब्रांड के रूप में उभर कर सामने आया है. एक ओर जहां प्रधानमंत्री मोदी खुद इसकी ब्रांडिंग कर रहे हैं तो वही जमीनी स्तर पर लोग इससे जुड़े हुए हैं और इसकी तस्वीर वाराणसी में भी दिखाई देती है. यहां लगभग 15 हज़ार से ज्यादा महिलाएं इस काम में जुटी हुई है. दो हजार से ज्यादा बुनकर अपनी कारीगरी का हुनर दिखा रहे हैं. बड़ी बात यह है कि वस्त्रों के साथ की अन्य उत्पादों में भी लगभग एक लाख से ज्यादा लोग जुड़ करके इस कार्य को पूरा कर रहे हैं. रोजगार सृजन कर रहे हैं. यदि हम इसके राजस्व में योगदान की बात करें तो एक लाख 90 हज़ार करोड़ का टर्नओवर खादी के जरिए केंद्र सरकार को दिया जाता है.

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