वाराणसी: ज्ञान और संस्कृति के दो ऐतिहासिक केंद्रों के माध्यम काशी तमिल संगमम विशाल सांस्कृतिक समृद्धता का संदेश दे गया. एक महीने तक काशी नगरी में आयोजित भव्य काशी तमिल संगमम समारोह में न केवल दो संस्कृतियों का मिलन हुआ, बल्कि लाखों लोग इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह भी बने.
भारतीय भाषा समिति (bbs) काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) के माध्यम से काशी और तमिल संस्कृति के सदियों पुराने संबंधों को पुर्नजीवित करने में कामयाब हुई. इस कामयाबी को बीएचयू और आईआईटी मद्रास ने जो रूपरेखा तैयार की. उसे साकार करने में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Union Ministry of Education) ने बड़ी भूमिका निभाई. 17 नवंबर 2022 से तमिलनाडु से शुरु हुआ सफर 16 दिसंबर 2022 को काशी में समाप्त हो गया, लेकिन इस सफर ने जो ऐतिहासिक संदेश दिया है. वह न केवल तमिलनाडु के लोगों के लिए बड़ी उपलब्धि है, बल्कि काशीवासियों के लिए भी एक बड़ा संदेश है.
19 नवंबर 2022 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का उद्घाटन किया था. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया. साथ ही भाषायी अंतर को कम करने की बात भी कही. काशी तमिल संगमम में जिस प्रकार से तमिल गीतों-नाट्यों-वादों का प्रस्तुतिकरण किया, वह अपने आप में अनुपम रहा. प्रख्यात कवि सुब्रह्मण्यम भारती की जयंती के दिन भारतीय भाषा उत्सव के आयोजन में तमाम हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं ने भारत दर्जन भर से अधिक भाषाओं में अपनी प्रस्तुति देकर इस बात को सत्यापित किया कि भाषा से अधिक भाव महत्वपूर्ण है. भावना प्रबल हो, तो भाषायी अंतर मायने नहीं रखती हैं. भौगोलिक रूप से भले ही देश में कई राज्य हैं, लेकिन अंतर्मन से सभी एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए संकल्पित हैं.
काशी में तमिल की संस्कृति केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने समापन पर इस आयोजन को ऐतिहासिक करार दिया. बीएचयू के ऐतिहासिक परिसर में 2 लाख से अधिक लोग पहुंचे. वहीं, लाखों लोग डिजिटल माध्यम से जुड़े रहे. कार्यक्रम में तमिलनाडु और काशी के 1500 से अधिक कलाकार, 300 से अधिक विशिष्ट अतिथि, 75 विशेषज्ञ वक्ता शामिल हुए. संगमम में साहित्य, प्राचीन ग्रंथों, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान, एजुटेक एवं अगली पीढ़ी की अन्य प्रौद्योगिकी आदि जैसे विषयों गंभीर चर्चा हुई.
संगमम में छात्रों, शिक्षकों, साहित्यकारों, सांस्कृतिक विशेषज्ञों, पेशेवरों, उद्यमियों, व्यवसायी, कारीगर, विरासत संबंधी विशेषज्ञ, आध्यात्मिक, ग्रामीण, सहित 12 समूह शामिल हुए. जिन्हें काशी के साथ-साथ प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा कराई गई. इसके अलावा काशी के आसपास के दर्शनीय स्थलों के गवाह भी यह समूह बना.
काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) में संस्कृति,सभ्यता एवं धार्मिक यात्रा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के खिलाड़ियों का भी संगम देखने को मिला. आठ दिवसीय खेल महोत्सव में विभिन्न खेलों का आयोजन किया गया, जहां पुरुष और महिला वर्ग की टीमों के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला. खेल महोत्सव में क्रिकेट, फुटबाल, हाकी, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस, बैंडमिंटन, खो—खो, कबड्डी,वॉलीबाल खेलों का आयोजन किया गया.
विविधता में एकता, काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) इसका सबसे बेजोड़ उदाहरण रहा. संगमम में शामिल प्रतिनिधि हों या फिर विशेष मेहमान, सबने इसके आकर्षण का लुत्फ उठाया. एम्फीथिएटर बीएचयू के मुक्ताकाशी प्रांगण में तमिलनाडु के हथकरघा, हस्तशिल्प, वस्त्र, साहित्य, व्यंजन, कला और शिल्प के अन्य रूपों को प्रदर्शित करने वाली विशेष प्रदर्शनी के साथ—साथ उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की ओर विशेष प्रदर्शनी का आयोजन भी लोगों के आकर्षण के केंद्र में रहा. काशी तमिल संगमम एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार रूप देता हुआ दिखाई पड़ा.
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