वाराणसीःउत्तर प्रदेश वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि सभागार में काशी मंथन का आयोजन हुआ. इसमें बतौर मुख्य वक्ता कारगिल युद्ध के समय भारतीय थल सेना प्रमुख रिटायर्ड जनरल वेद प्रकाश मलिक मौजूद रहे. विश्वविद्यालय के साथ अन्य विद्यालय और महाविद्यालय के छात्रों ने भी कारगिल की गाथा को सुना और वर्तमान की युवा पीढ़ी ने देश के योद्धाओं को याद किया. सभी ने जय हिंद बोलकर बीएचयू में शहीद जवानों को नमन किया.
नेतृत्व और प्रेरणा: कारगिल युद्ध सहित मेरे अनुभव’ विषय पर व्याख्यान देते हुए जनरल मलिक ने बताया कि नेतृत्व पर बहुत सी किताबें लिखी गई हैं, लेकिन इसकी आधारभूत बातें कभी बदलती नहीं हैं. आपके साथ 5 लोग हो या 50 लाख लोग हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, नेतृत्व की जरूरी बुनियादी बातें सदैव एक सी रहती हैं. उन्होंने कहा कि मैं और मेरी पत्नी काशी तीर्थ यात्रा के लिए आये थे. हम सुनते आए हैं कि तीर्थ यात्रा करो तो पुण्य मिलता है. मैं ये समझता हूं कि काशी मंथन के मंच के माध्यम से वर्तमान युवा पीढ़ी को अपने अनुभवों, विचारों से सिंचित करना भी पुण्य का काम है.
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उन्होंने नेतृत्व के लिए जरुरी गुण बताते हुए कहा कि नेतृत्व 20 प्रतिशत ज्ञान-कौशल और 80 प्रतिशत आपके व्यवहार पर निर्भर करता है. अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने अधीनस्थ लोगों के साथ उचित व्यवहार करना बेहद जरूरी है. सुदृढ़ चरित्र, ईमानदारी, अखंडता हर क्षेत्र में नेतृत्व की कुंजी है. यही लोगों में विश्वास जगाने के लिए जरूरी गुण है. उन्होंने कहा कि चुनौतियां ही नेतृत्व पैदा करती हैं, बिना चुनौतियों के कोई नेतृत्व पैदा नहीं हो सकता.
छात्र-छात्राओं के सवालों का जवाब देते हुए जनरल मलिक ने कहा कि सेना से जुड़ने के लिए किसी के सलाह की कोई जरूरत नहीं, आपके अन्दर देश और सेना में अपनी सेवा देने का जज्बा ही सेना से जुड़ने के लिए काफी है. सोशल मीडिया और पत्रकारिता के मुद्दे से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का बेहद सावधानीपूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए. आज के इनफार्मेशन वॉर के दौर में यह एक बड़ा हथियार है. चीन जैसे देश इसका कुटिल प्रयोग कर रहे हैं. यह देश की एकता, अखंडता को अस्थिर करने का एक बड़ा हथियार बन चुका है.
उन्होंने कहा सौ लोग मेरी बातों को वाट्सएप पर फॉरवर्ड करते होंगे, लेकिन सुनते शायद 5 भी नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के मंच पर कुछ पोस्ट या फॉरवर्ड करने के लिए जानकारियों को पुख्ता करना हमें अपनी आदत में शुमार करना चाहिए. इस अवसर पर काशी मंथन के सचिव डॉक्टर मयंक नारायण सिंह ने कहा कि काशी मंथन की प्रेरणा महामना मालवीय हैं. उन्होंने सिर्फ बीएचयू की स्थापना ही नहीं की, बल्कि राष्ट्रनिर्माण की बुनियाद रखी. वह असल दूरदृष्टा थे. अगर इतने विराट प्रयास के लिए उन्हें कोई घबराहट नहीं हुई तो हम अपने छोटे-छोटे प्रयासों के लिए क्यों घबरा जाते हैं?
उन्होंने कार्यक्रम में शामिल हुए सनबीम स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों सहित एनसीसी-बीएचयू के कैडेट्स एवं राष्ट्रीय सेवा योजना, बीएचयू के स्वयंसेवकों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी के अन्दर स्वयं से पहले राष्ट्र के भाव को जागृत करना ही काशी मंथन का उद्देश्य है. उन्होंने इस अवसर पर कार्यक्रम में शामिल हो रहे 39 जीटीसी के सैन्य अधिकारीयों एवं उनके परिजनों का विशेष रूप से स्वागत किया.
कार्यक्रम के अंत में 39 जीटीसी के ब्रिगेडियर राजीव नाग्याल ने करगिल और मलिक से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि मैं करगिल युद्ध के समय कश्मीर में ही पोस्टेड था, करगिल युद्ध के समय की बहुत सारी तस्वीरें मैंने खींची, जिनमें से कुछ को जनरल मलिक ने प्रदर्शित भी किया. उन्होंने कहा कि जनरल मलिक ने कभी भी करगिल की जीत का श्रेय नहीं लिया. उन्होंने हर वक़्त, हर साक्षत्कार, हर किताब में इसका श्रेय अपने सैन्य अधिकारियों और जवानों को दिया. नेतृत्व का इससे बड़ा और बेमिसाल उदाहरण कुछ और नहीं हो सकता.
इस अवसर पर अतिथि परिचय खुशबू एवं धन्यवाद ज्ञापन अंकित मौर्य ने दिया. कार्यक्रम का संचालन चंद्राली मुख़र्जी ने किया. इस अवसर पर छात्र अधिष्ठाता प्रोफेसर महेंद्र कुमार सिंह,प्रोफेसर दिनेश चन्द्र राय, प्रोफेसर बीसी कापरी, डॉक्टर बाला लखेंद्र, डॉक्टर धीरेन्द्र राय, डीपीएस के प्रधानाचार्य मुकेश सेलट, सुनील तिवारी, देवाशीष गांगुली, दीपक सिंह, पंकज सिंह मौजूद रहे.
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