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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर का कार्यकाल पूरा

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर का कार्यकाल पूरा होने पर विदाई समारोह आयोजित किया गया. विदाई समारोह के दौरान प्रो. भटनागर ने रेक्टर प्रो. वी. के. शुक्ला को कार्यभार सौंपा.

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Published : Mar 28, 2021, 9:42 PM IST

वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर का कार्यकाल पूरा होने पर विदाई समारोह आयोजित किया गया. कुलपति ने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर रेक्टर प्रो. वी. के. शुक्ला को कार्यभार सौंपा. इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने कुलपति प्रो. भटनागर के कार्यकाल की उपलब्धियों को याद किया और उन्हें बधाई दी. रेक्टर प्रो. वी. के. शुक्ला ने प्रो. राकेश भटनागर के कार्यकाल में विश्वविद्यालय में शिक्षण व शोध की दिशा में उठाए गए अनेक कदमों की चर्चा किया.

कार्यभार सौंपते प्रो. भटनागर.


बीएचयू के 27वें कुलपति थे प्रो. भटनागर
11 जुलाई 1951 को जन्मे प्रो. राकेश भटनागर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 27वें कुलपति रहे. प्रो. भटनागर ने अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सबके सहयोग व समर्थन से ही वे विश्वविद्यालय के विकास की दिशा में कार्य कर पाए. उन्होंने कहा कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित इस महान विश्वविद्यालय की सेवा करना उनके लिए अत्यंत गौरव की बात है. महामना की प्रेरणा से उन्होंने सदैव विश्वविद्यालय व छात्रों के हित को आगे रखकर कार्य किया. विदाई समारोह में विभिन्न संस्थानों के निदेशक, संकाय प्रमुख, विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य, विश्वविद्यालय कोर्ट के सदस्य, विश्वविद्यालय के अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित रहे. कार्यक्रम में उपस्थित विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने प्रो. राकेश भटनागर के नेतृत्व, योगदान व कार्यशैली को न सिर्फ प्रोत्साहित करने वाला बताया. कार्यक्रम का संचालन संयुक्त कुलसचिव डॉ. सुनीता चंन्द्रा एवं धन्यवाद प्रस्ताव वित्ताधिकारी अभय ठाकुर ने प्रेषित किया.

कुलपति पर कई बार लगे आरोप
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में नियुक्ति को लेकर कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर पर कई बार अभ्यर्थियों और छात्रों द्वारा आरोप लगाए गए. जिसमें हिंदी भाषी छात्र का मुद्दा काफी चर्चा में रहा. छात्र का आरोप था कि मुझे हिंदी बोलने पर इंटरव्यू से वंचित किया गया. जिसे लेकर छात्रों ने बड़ा आंदोलन किया और पूरे शहर में पोस्टर लगा कर कुलपति को हिंदी विरोधी बताया था. उसके बाद एक छात्र से बात करने के दौरान कुलपति ने महामना को आम के वृक्ष लगाने की जगह पैसे की वृक्ष लगाने की बात कही. यह ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति भी चर्चा का विषय बना रहा.

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तीन वर्षों में विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय की उपलब्धियां
गौरतलब है कि पिछले तीन वर्षों में विश्वविद्यालय में छात्रों के उत्थान व विश्वविद्यालय के विकास की दिशा में अनेक कार्य किये गए हैं. इस दौरान चिकित्सा विज्ञान संस्थान, को एम्स की तर्ज पर विकसित करना, 430 बिस्तरों वाले शताब्दी सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल, अत्याधुनिक सुविधाओं व उपकरणों वाले सेन्ट्रल डिस्कवरी सेन्टर, अटल इन्क्यूबेशन सेन्टर, वैदिक विज्ञान केन्द्र, बोन मैरो ट्रांसप्लांट केन्द्र, 8 MW सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना, 300 शिक्षक आवासीय फ्लैट का निर्माण व ईआरपी व्यवस्था का लागू होना प्रमुख रूप से शामिल है. इसके अतिरिक्त कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य प्रगति पर हैं. जिनमें क्षेत्रीय नेत्र रोग संस्थान की स्थापना, 450 कमरों के कन्या छात्रावास का निर्माण आदि शामिल हैं.

वैश्विक स्तर पर बीएचयू की मिली पहचान
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा को देश भर के तमाम शहरों में ऑनलाइन माध्यम से कराने का श्रेय भी प्रो. भटनागर को जाता है, इससे देश के कोने कोने से प्रवेशार्थियों को इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में प्रवेश के सपने को पूरा करने का माध्यम और सुलभ हुआ. स्वच्छ भारत के उद्देश्य को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए कचरे से बिजली बनाने के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये. प्रो. भटनागर के दूरदर्शी नेतृत्व में विश्वविद्यालय को इन्स्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस का प्रतिष्ठित दर्जा मिला व एनआईआऱएफ रैंकिंग में विश्वविद्यालय ने शीर्ष तीन विश्वविद्यालयों में अपना स्थान बनाया.

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