उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

IIT-BHU: पराली से बनाया कप और प्लेट, अब किसान होंगे मालामाल

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu University) के आईआईटी के शोध में पराली (Parali IIT research) को कन्वर्ट कर कप, प्लेट और ग्लास बनाए हैं. यह उत्पाद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हैं. इसके साथ ही इसके उत्पाद से किसानों से उनकी पराली भी खरीदी जा सकती है.

1
1

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 7, 2024, 8:32 AM IST

वाराणसीः अब किसानों को पराली की समस्या से निजात दिलाने की एक अच्छी तरकीब मिल गई है. ऐसे में किसानों को पराली जलाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा, बल्कि पराली से उनकी आय में इजाफा भी होगा. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आईआईटी ने पराली का इस्तेमाल कर नए उत्पाद बनाए हैं. स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ मिलकर कुछ छात्रों ने पराली को कन्वर्ट कर कप, प्लेट और ग्लास बनाए हैं. खास बात ये है कि ये उत्पाद किसी भी तरीके से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हैं. इसके अलावा इसे बनाने में हानिकारक केमिकल का भी इस्तेमाल नहीं हुआ है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पराली में बनेगा कप-प्लेट.

खेतों में पराली का जलाया जाना आज देश में एक बड़ी समस्या बनकर गया है. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इसको लेकर कड़े नियम भी बनाए गए. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में टिप्पणी की है. ऐसे में किसानों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी की बात ये हो जाती है कि आखिर इस पराली का निस्तारण कैसे करें. अब IIT-BHU ने इसका हल निकाल लिया है. स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग ने पराली का इस्तेमाल कर इन उत्पादों को बनाए जाने का तरीका खोज निकाला है. ऐसे में अगर इस विधि से बड़ी मात्रा में उत्पाद तैयार किए जाते हैं तो किसानों से उनकी पराली खरीदी जा सकती है.

वाराणसी में पराली.
दिसंबर 2023 में मिल गया है पेटेंट IIT-BHU के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रोद्युत धर के निर्देशन में शोध छात्रों ने पराली से कप, प्लेट, ग्लास, कुल्हड़ और स्ट्रॉ बनाया है. इस शोध कार्य में स्मृति भट्ट, संजू कुमारी, रोहित राय और राहुल राजन शामिल हैं. डॉ. प्रोद्युत धर ने बताया कि बीते साल 2023 के दिसंबर महीने में इन उत्पादों के लिए किए हुए शोध का पेटेंट भी मिल गया है. उन्होंने बताया कि पराली जलाने के सबसे ज्यादा नुकसान पर्यावरण को होता है. इससे किसान भी परेशान रहते हैं. पराली का इस्तेमाल इन उत्पादों को बनाने में होता है तो पराली जलाने की समस्या खत्म होगी ही. साथ ही किसानों को भी इसका फायदा मिलेगा.


उत्पाद बनाने में एग्रोकेमिकल का इस्तेमाल
डॉ. प्रोद्युत धर ने बताया कि पराली से बनाए गए इन उत्पादों में किसी भी तरह के हानिकारक केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है. बाजार में मिलने वाले डिस्पोजेबल ग्लास और कप के ऊपर भी केमिकल की कोटिंग की जाती है. मगर हमने पराली से इन उत्पादों को बनाने के लिए एग्रोकेमिकल का इस्तेमाल किया है. ये केमिकल स्वास्थ्य के लिए किसी भी तरह से नुकसानदायक नहीं हैं. उन्होंने बताया कि ये उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक हैं. इनमें रखे जाने वाले गर्म पदार्थ एक सीमित समय तक गर्म भी रहेंगे. उन्होंने बताया कि इन उत्पादों को बनाने के लिए किसानों से पराली खरीदी जाएगी तो उनके लिए एक आय का स्रोत भी बन जाएगा.

रिसर्च एंड डेवलपमेंट इनोवेशन फेयर में होगी प्रदर्शनी
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रोद्युत धर ने बताया कि आईआईटी हैदराबाद में 18 जनवरी से होने वाले रिसर्च एंड डेवलपमेंट इनोवेशन फेयर इनवेंटिव में आईआईटी बीएचयू का ये प्रोजेक्ट भी शामिल होगा. सस्टेनेबल मैटेरियल कैटेगरी में इन उत्पादों को वहां पर प्रदर्शित किया जाएगा. बता दें कि आईआईटी बीएचयू में इस समय लगातार नए प्रयोग किए जा रहे हैं. कुछ समय पहले संस्थान में गाय के गोबर को लेकर भी शोध कार्य चल रहा था. इसके साथ ही गंगा जल आदि को लेकर भी कई तरह की दवाओं और उत्पादों को बनाने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसे में पराली से इन उत्पादों का बनाया जाना भविष्य के लिए अच्छे संकेत हैं.

यह भी पढे़ं- मुलायम की सरकार में "रामभक्ति" थी अपराध, कारसेवा में जेल गए लोगों ने सुनाई 1990 की दास्तां

यह भी पढे़ं- IIT BHU का कमाल: किसानों की पराली से अब नहीं होगा प्रदूषण, बनेगी बायोगैस और कमाएंगे पैसे!

ABOUT THE AUTHOR

...view details