उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

नवरात्रि का सातवां दिन: मां के इस स्वरूप के दर्शन से दु्श्मनों का होता है विनाश

एक तरफ देश में जहां कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा रखा है. वहीं चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन पौराणिक कथाओं के अनुसार दुष्टों का विनाश करने वाली काली की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि भक्तों के लिए मां कालरात्रि सदैव शुभ फल देने वाली हैं.

kali worshiped on seventh day of navratri
कालरात्रि मंदिर वाराणसी.

By

Published : Mar 31, 2020, 1:16 PM IST

वाराणसीः मां दुर्गा की सप्तम स्वरूप को मां कालरात्रि के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के सातवें दिन मां के इसी स्वरूप की पूजा होती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से दुष्टों का विनाश होता है. मां के रूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है. भक्तों के लिए मां कालरात्रि सदैव शुभ फल देने वाली है.

ऐसी है मां कालरात्रि की महिमा

नवरात्रि का सातवां दिन.
मां का यह रूप देखने में अत्यंत भयावह है, लेकिन मां के इस रूप का दर्शन बहुत सुखदाई है. इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है. इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है. मां के इस रूप से दानव, दैत्य, राक्षस, भूत-प्रेत आदि भी डरकर भागते हैं. मां सभी बाधाओं को दूर करने वाली हैं. इनकी उपासना करने वालों को अग्नि भय, जल भय, शत्रु भय, आदि कभी नहीं होता. इनके कृपा से वह सर्वथा मुक्त रहता है.

दुर्गा ने लिया था कालरात्रि का अवतार
मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथाओं की मानें तो दैत्य शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोगों में हाहाकार मचा कर रखा था. इससे चिंतित होकर सभी देवता गण शिव जी के पास गए. शिवजी ने पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा. शिवजी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ, निशुंभ का वध कर दिया. परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा. उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. इस देखकर दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया.

इसे भी पढ़ें-मां कात्यायनी के दर्शन से दूर होता है वैवाहिक दोष, जानने के लिए पढ़ें

मां को गुड़ अत्यंत प्रिय है
सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को देना चाहिए. कहा जाता है ऐसा करने से पुरुष रोग मुक्त होता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि दुष्टों का नाश करने के लिए आदिशक्ति ने यह रूप धारण किया है. मां को नारियल की बलि चढ़ाई जाती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details