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सावन के रंग में रंगी महिलाएं, कजरी के गीतों पर झूमती नजर आईं - लोकगीतों की परंपरा

सावन के महीने में कजरी का विशेष महत्व होता है. इस मौके पर महिलाएं हमारी परंपराओं और संस्कृति को पेश करती हैं. इसमें लोकगीतों का अलग ही रोमांच होता है. सावन के मौके पर कजरी का विशेष कार्यक्रम पेश है. खबर में वीडियो देखकर इसका लुफ्त उठाइए.

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Published : Jul 29, 2022, 1:31 PM IST

वाराणसी: सावन का महीना वैसे तो धर्म और आस्था के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन सावन अपने आप में उत्सव के अनेक रंग लेकर आता है. खास तौर पर सुहागिन महिलाओं के लिए सावन बहुत महत्वपूर्ण होता है. हरी साड़ियों, साजो-श्रृंगार के साथ महिलाएं सावन का पर्व धूमधाम से मनाती हैं. सभी महिलाएं एक जगह इकट्ठा होकर गीत-संगीत की महफिल के साथ परंपरागत और पूर्वांचल की उस संस्कृति का निर्वहन करती हैं, जो सदियों से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है.

उत्तर प्रदेश में लोकगीतों का अपना अलग ही अंदाज है. हर त्यौहार या किसी मौके पर लोकगीतों के जरिए अपनी खुशी जाहिर करने का तरीका भी अलग होता है. और बात जब सावन की हो तो कजरी से दूर कैसे रहा जा सकता है. सावन के मौके पर कुछ इसी तरह की परंपरा आप इस खास कजरी कार्यक्रम में देख सकते हैं. इसमें उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में प्रचलित लोकगीतों की परंपरा समाहित है.

लोकगीतों पर एक-दूसरे संग मस्ती करते हुए महिलाएं

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इस कार्यक्रम में एक तरफ जहां महिलाएं सावन के रंग में रंगी नजर आ रही हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश के प्रख्यात लोकगीत और भोजपुरी गायक अमलेश शुक्ला और उनकी सहयोगी आस्था कई साथी कलाकारों के साथ इस कार्यक्रम में चार चांद लगा रहे हैं. तो आइए सावन के मौके ईटीवी भारत के इस खास पेशकश के जरिए कजरी का लुफ्त उठाइए.

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