वाराणसी: सावन का महीना वैसे तो धर्म और आस्था के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन सावन अपने आप में उत्सव के अनेक रंग लेकर आता है. खास तौर पर सुहागिन महिलाओं के लिए सावन बहुत महत्वपूर्ण होता है. हरी साड़ियों, साजो-श्रृंगार के साथ महिलाएं सावन का पर्व धूमधाम से मनाती हैं. सभी महिलाएं एक जगह इकट्ठा होकर गीत-संगीत की महफिल के साथ परंपरागत और पूर्वांचल की उस संस्कृति का निर्वहन करती हैं, जो सदियों से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है.
उत्तर प्रदेश में लोकगीतों का अपना अलग ही अंदाज है. हर त्यौहार या किसी मौके पर लोकगीतों के जरिए अपनी खुशी जाहिर करने का तरीका भी अलग होता है. और बात जब सावन की हो तो कजरी से दूर कैसे रहा जा सकता है. सावन के मौके पर कुछ इसी तरह की परंपरा आप इस खास कजरी कार्यक्रम में देख सकते हैं. इसमें उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में प्रचलित लोकगीतों की परंपरा समाहित है.
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