उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

वाराणसी: स्नान मात्र से ही दूर होता है कालसर्प योग - kaal sarp yog

जैतपुरा में एक प्रसिध्द कुआं है, जहां स्नान करने से और जल आचरण से ही काल सर्प योग से मुक्ति मिल जाती है. इससे जुड़ी मान्यता यह है कि सतयुग में महाराजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहित को इसी स्थान पर सर्प ने काटा था. कालसर्प योग का पूजन सिर्फ देश में तीन स्थान पर होता है. इनमें पहला स्थान है नासिक का त्रंबकेश्वर, उज्जैन स्थित महाकाल और काशी का नाग कूप है.

स्नान मात्र से ही दूर होता है कालसर्प योग.

By

Published : Aug 5, 2019, 11:10 AM IST

वाराणसी:आज नागपंचमी का दिन है और इस दिन नाग देवता और महादेव के पूजन से विशेष फल की प्राप्ति होती है. कालसर्प योग से मुक्ति के लिए नाग देवता की आराधना की जाती है और भगवान भोलेनाथ को दूध और जल अर्पित करने से शिव के साथ नागेश्वर का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, लेकिन इन सबके बीच धर्मनगरी वाराणसी में एक ऐसा पवित्र कुंड है, जिसे नाग कूप के नाम से जाना जाता है. जैतपुरा क्षेत्र में स्थित इस नाग कूप का महत्व बहुत ज्यादा है. ऐसी मान्यता है कि यदि इस कुएं का जल को पिया जाए और इसमें स्नान किया जाए तो, इससे जहरीले नागों के डर से मुक्ति मिलती है और कालसर्प योग भी खत्म हो जाता है.

स्नान मात्र से ही दूर होता है कालसर्प योग
नाग कुएं का महत्व
  • काशी खंड में स्थित नाग कूप की मान्यता धर्म ग्रंथों में भी वर्णित है.
  • मंदिर के पुजारी का कहना है कि सतयुग में महाराजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहित को भी इसी स्थान पर सर्प ने काटा था.
  • शेषनाग का अवतार कहे जाने वाले महर्षि पतंजलि ने इसी स्थान पर तपस्या की थी.
  • उसके बाद इस कूप का निर्माण हुआ.
  • कुएं में एक शिवलिंग मौजूद है. इस शिवलिंग को कारकोट नागेश्वर शिवलिंग के नाम से पूजा जाता है.
  • मंदिर परिसर में ही नागेश्वर महादेव का शिवलिंग है.

नाग कूप में स्नान करने और इसके जल का आचमन करने मात्र से ही सारी दुख बाधाएं दूर होती हैं. सबसे कठिन कहे जाने वाले कालसर्प योग से प्रभावित लोगों को भी यहां पर इससे मुक्ति मिलती है. कालसर्प योग का पूजन सिर्फ देश में तीन स्थान पर होता है. इनमें पहला स्थान है नासिक का त्रंबकेश्वर, उज्जैन स्थित महाकाल और काशी का नाग कूप है.
तुलसी पांडेय, पुजारी


शिव पुराण समेत अन्य कई ग्रंथों में इस स्थान का जिक्र है. इस कुएं का जल अपने घर या प्रतिष्ठान पर छिड़का जाए तो जहरीले नाग और जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा कम होता है. इसके अलावा इसके आचमन मात्र से ही नाग या अन्य जहरीले जीव-जंतु के काटे जाने का असर भी कम हो जाता है. इस दिन यहां भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है. तुलसी की माला इस स्थान पर विशेष फलदाई मानी जाती है और दूध के साथ लावा भी यहां अर्पित कर कालसर्प योग और जहरीले नागों के डर से मुक्ति पाने के लिए पहुंचते हैं.
राहुल जायसवाल, दर्शनार्थी



ABOUT THE AUTHOR

...view details