वाराणसीः जिले के युवाओं में एक ऐसी बीमारी ने घर कर लिया है, जो अमूमन 50 की उम्र में लोगों को हुआ करती थी. ऐसे युवाओं की संख्या जिले में बढ़ती ही जा रही है, जो खतरनाक संकेत है. हम जिस बीमारी की बात कर रहे हैं वो है ऑर्थराइटिस यानी कि गठिया. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में युवाओं में ये बीमारी बहुत ही तेजी से फैली है. हर 10 में से 5 युवा इस बीमारी से पीड़ित है.
हड्डी रोग अस्पताल में बैठी महिला अनुराधा चतुर्वेदी ने बताया कि उनकी 15 साल की बेटी है. उसके हाथ में, पैरों में, जोड़ों में इतना दर्द हो रहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए. ऐसा क्यों हो रहा है ये उन्हें पता नहीं चल सका है.
जोड़ों और घुटनों का दर्द 15 साल के बच्चों में भी
अनुराधा के इस जवाब के बाद पता चलता है कि यह बीमारी अब 15 साल की उम्र के बच्चों तक पहुंच चुकी है. यानी ये बीमारी अब बच्चों को भी नहीं छोड़ रही. एक वक्त था जब लोगों की उम्र 40 के पार होती थी तब ये समस्या पता चलती थी. स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा देखें तो अस्पताल आने वाले 10 में से 5 युवाओं में आर्थराइटिस या थायराइड की समस्या मिल रही है. इसके साथ ही 10 साल में युवाओं में ये बीमार सबसे अधिक बढ़ी है.
कमरे में बंद रहना और धूप में न निकलने से हो रही दिक्कत
वहीं, इस बीमारी को लेकर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल सिन्हा बताया कि 'युवाओं में जोड़ों के दर्द, घुटनों के दर्द की समस्या आ रही है. उसका कारण है कि युवाओं का खान-पान बदला हुआ है. इसके साथ ही उनके साथ बैड हैबिट मोबाइल चलाने की लग गई है. वे दिनभर मोबाइल फोन यूज कर रहे हैं. ऐसे में वे लोग कमरे के अंदर बंद रहते हैं. अंधेरे में रहते हैं, क्योंकि सूर्य की रोशनी में तो मोबाइल चलाने में दिक्कत होगी. जब वे धूप में नहीं जाएंगे तो उन्हें विटामिन भी नहीं मिल पाता है. ऐसे में घुटनों में विटामिन डी बन नहीं पाता है'.
ओपीडी में 15 से 20 फीसदी मामले रोज आ रहे
उन्होंने कहा कि युवाओं को अब दूध पीना अच्छा नहीं लगता है. इससे भी उन्हें कैल्शियम की मात्रा नहीं मिल पाती है और विटामिन डी की कमी रहती है. इसकी वजह से घुटनों में, कमर में और गर्दन में दर्द की समस्या रहती है. डॉक्टर सिन्हा ने बताया कि ओपीडी में 15 से 20 फीसदी मरीज ऐसे मामलों के आ रहे हैं. सबसे अधिक ऐसे युवा आए हैं जिन्हें गर्दन में दर्द की समस्या थी. जब उनसे पूछा गया को पता चला कि वे दूध पीना बंद कर चुके हैं, खेलने-कूदने में रुचि नहीं रखते हैं. विटामिन डी और कैल्शियम भी कम पाया गया.