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Jhalkari Bai Hospital: 1937 में स्थापित हुए इस अस्पताल को फिर मिलेगी सांसें, 50 हजार आबादी को मिलेगी राहत - नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एनपी सिंह

वाराणसी में 1937 में स्थापित की अस्पताल को फिर से शुरू किया जा रहा है. जिससे 50,000 से ज्यादा की आबादी को राहत मिलेगी. 15 साल से बंद था ये मातृ शिशु सेवा केंद्र.

Jhalkari Bai Hospital
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Published : Feb 2, 2023, 10:28 PM IST

नगर स्वास्थ्य अधीकारी ने दी जानकारी

वाराणसी: किसी भी जिले की स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने से उस जिले में रहने वाले लोगों की जिंदगी सुरक्षित और आसान हो जाती है. इसके लिए एक तरफ जहां नए अस्पतालों का होना बेहद अनिवार्य है तो वहीं, पुराने अस्पतालों का बेहतर संचालित किया जाना भी आवश्यक है. ऐसे में कुछ बंद पड़े पुराने हॉस्पिटल फिर से शुरू किए जाएं तो निश्चित है कि बड़ी आबादी को इसका फायदा मिलता है. कुछ ऐसा ही वाराणसी में होने जा रहा है, बीते 15 सालों से बंद पड़े अस्पताल के साथ होने जा रहा है. वाराणसी के सिटी सेंटर बेनियाबाग इलाके में बंद पड़े एक ऐसे ही सैकड़ों साल पुरानी इमारत में चलने वाले अस्पताल को फिर से शुरू किया जा रहा है. इस अस्पताल के पुनः संचालित होने से लगभग 50,000 से ज्यादा की आबादी को राहत मिलेगी.

दरअसल, वाराणसी को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण माना जाता रहा है. क्योंकि यहां पर सिर्फ वाराणसी से ही नहीं बल्कि आसपास के करीब 4-5 जिलों और यूपी से सटे राज्यों से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लोगों का भी इलाज के लिए बनारस आना होता है. यही वजह है कि यहां का सर सुंदरलाल अस्पताल, मंडलीय चिकित्सालय और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल में हमेशा भारी भीड़ देखने को मिलती है.

ऐसे में सरकारी सेवाओं का लाभ जनता तक बेहतर तरीके से कैसे पहुंचे यह सवाल बड़ा हो जाता है. इसलिए बनारस में बेनियाबाग इलाके में लगभग 15 साल पहले संचालित होने वाले मातृ शिशु सेवा केंद्र जिसे झलकारी बाई अस्पताल के नाम से जाना जाता था. उसे पुनः संचालित करने की तैयारी चल रही है. नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने बताया कि शहर के बेनियाबाग इलाके में बंद पड़े इस अस्पताल को पुनः शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश मिले हैं. जिसके बाद इस अस्पताल की ओपीडी सेवाओं के साथ ही यहां पर बच्चों के वैक्सीनेशन की सुविधा शुरू की जाएगी.

नगर स्वास्थ्य अधीकारी ने बताया कि यह अस्पताल तो बंद था लेकिन यहां लगभग 6 ऐसे स्टाफ थे, जो सरकारी तौर पर तैनात थे, लेकिन इनका उपयोग नहीं हो रहा था. इनमें से कुछ तो रिटायर्ड भी होने वाले हैं. ऐसी स्थिति में इन सभी को आगे पुनः ड्यूटी देते हुए नए स्टाफ की तैनाती करके इसे फिर से संचालित किया जाएगा. यह अस्पताल शहर की बड़ी आबादी के लिए राहत लेकर आएगा, क्योंकि यहां पर आसपास की आबादी 50000 से ज्यादा है. इस आबादी को या तो स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मंडलीय अस्पताल या फिर जिला अस्पताल पर निर्भर होना पड़ता था. महंगे अस्पतालों का रुख करना इस क्षेत्र के लोगों के लिए संभव भी नहीं था. यही वजह है कि इस अस्पताल को पुनः स्थापित करते हुए इसके संचालन को शुरू करने की तैयारी की जा रही है. गौरतलब है कि अस्पताल में रंगाई पुताई के साथ ही इसे मेंटेन करने का काम तेजी से चल रहा है. माना जा रहा है कि आने वाले 1 महीने के अंदर में इस अस्पताल को फिर से शुरू कर दिया जाएगा.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक यह पूरी इमारत 1937 में स्थापित की गई थी और उसके बाद से यहां पर महानगरपालिका की देखरेख में इस अस्पताल को संचालित किया जाता था. पुराने दस्तावेजों में महानगरपालिका से इस अस्पताल को प्रशासनिक स्तर पर ट्रांसफर करने के बाद नगर निगम को हस्तांतरित किया जा रहा है. नगर निगम इसे संचालित करने के लिए स्मार्ट सिटी और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर कार्य योजना तैयार कर रहा है. इससे बड़ी आबादी को इसका लाभ मिल सके और बच्चों के टीकाकरण के साथ ही ओपीडी सेवाओं के जरिए प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को इस अस्पताल के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं का फायदा मिले.

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