वाराणसी:धर्म एवं अध्यात्म की नगरी काशी में शृंगार गौरी के दर्शन और मुक्ति के लिए साधु-संत फिर से सामने आए है. साधु संतों ने कहा कि 1995 में अशोक सिंघल ने इसके लिए आवाज उठाई थी. इसके बाद साल में एक बार यहां दर्शन की अनुमति मिली थी. दो बार अरुण पाठक ने रक्ताभिषेक भी किया था. इसके बाद भी शृंगार गौरी माता को मुक्ति नहीं मिल पाई है. इसको लेकर अब संत समाज को आगे आना होगा.
ये है मामला
बता दें कि ज्ञानवापी परी क्षेत्र का मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इसीलिए किसी भी व्यक्ति को वहां जाने की अनुमति नहीं है. संत समाज की मांग है कि इसे आम जनमानस के लिए खोला जाए. मां शृंगार गौरी के दर्शन से ही बाबा विश्वनाथ के दर्शन को सफल माना जाता है.
पूरे मामले को संत समाज के सामने उठाने का काम करेंगे. इससे शृंगार गौरी माता का लोगों को दर्शन प्राप्त हो सके. जब तक माता शृंगार गौरी के दर्शन भक्तों को प्राप्त नहीं होते, तब तक बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता. इस मंदिर में दर्शन करना लोगों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा.
-स्वामी संपत कुमार आचार्य, साधु