वाराणसी:भारत ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. इससे इसरो के वैज्ञानिकों के साथ ही देशवासियों में भी खुशी देखी जा रही है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो ने एक और एलान कर दिया है. वैज्ञानिक अब आदित्य-एल 1 मिशन पर काम करेंगे. आदित्य-एल वन सूर्य पर अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है. इस मिशन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के IIT के वैज्ञानिक भी शामिल है. ये वैज्ञानिकों की टीम सूर्य की सतह पर जाने वाले आदित्य एल-वन का विश्लेषण करेगी. आदित्य-एलवन के साथ कई उपकरण भी भेजे जा रहे हैं. इस मिशन से जुड़े डॉ. अलकेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी है.
बंगलुरू स्थित डीप स्पेस नेटवर्क को भेजा जाएगा डाटा:काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भौतिकी विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अलकेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी टीम सूर्य के कई पक्षों की निगरानी करेगी. वह इस सौर मिशन के सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप टीम का हिस्सा हैं. उनकी टीम नियमित रूप से उपग्रह की निगरानी करने के साथ ही बंगलुरु में स्थित डीप स्पेस नेटवर्क टीम को सारी जानकारी भेजेगी. देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठे वैज्ञानिक सूर्य की सतह पर हो रही हलचल की निगरानी करेंगे.
सूर्य और पृथ्वी के बीच हैं पांच लैंगरेज बिंदु: डॉ. अलकेंद्र ने बताया कि इसरो ने आदित्य एल-वन उपग्रह की स्थापना के लिए सूर्य और पृथ्वी के बीच लैगरेंज-1 यानी एल-वन को चुना है. उन्होंने बताया कि सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में ऐसे पांच बिंदु हैं, जिन्हें एल-1 से एल-5 तक का नाम दिया गया है. एल-1 सूर्य के सामने है. इसकी पृथ्वी से दूरी 15 लाख किलोमीटर की है. इस बिन्दु पर उपग्रह के होने से सूर्य में होने वाली हलचल पर सीधे निगरानी रखी जा सकेगी. डॉ. अलकेंद्र सिंह ने बताया कि इस मिशन को लेकर वैज्ञानिक दिन रात काम कर रहे हैं. सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है.
बीएचयू से तीन वैज्ञानिकों का नाम शामिल: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आईआईटी से इस मिशन के लिए तीन नाम शामिल किए गए हैं. इसमें डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, डॉ. विद्या विहान और डॉ. अलकेंद्र सिंह हैं. ये सभी इसरो के साथ जुड़कर सूर्य की सतह पर होने वाली हलचल पर नजर रखेंगे. इस मिशन को सफल बनाने में अपना सहयोग देंगे. इसके साथ ही इन वैज्ञानिकों की मदद से सूर्य के कई रहस्यों का भी पता लगाया जा सकेगा. सूर्य के सामने जाने वाला उपग्रह आदित्य एल-वन वहां की गतिविधियों का डाटा इकट्ठा करेगा और वैज्ञानिकों तक भेजेगा.