वाराणसी: अब तक आपने भारतीय संविधान को अलग-अलग किताबों में और अलग-अलग भाषाओं में देखा होगा. आज हम आपको भारतीय संविधान के एक अलग रूप के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी किताब में नहीं लिखा गया बल्कि सूती कपड़े पर लिखा गया है. बड़ी बात यह है कि इसको लिखने में किसी प्रकार की स्याही का नहीं बल्कि गंगा की मिट्टी और केसर का प्रयोग किया गया है. इस संविधान को लिखने वाले बनारस के इरशाद बनारसी हैं.
वाराणसी के रहने वाले इरशाद गंगा जमुना तहजीब की मिसाल देने के साथ ही भारतीय संविधान को एक अनोखे रूप में सहेजने का काम कर रहे हैं. उन्होंने इससे पहले भी ऐसा काम करके दिखाया है. इरशाद ने सबसे पहले कपड़े पर उर्दू में कुरान लिखी थी. उसके बाद उन्होंने समाज और धार्मिक सौहार्द की भावना से अपने धर्मगुरुओं के सलाह के बाद 30 मीटर कपड़े पर श्रीमद्भागवत गीता को लिखा. इसके अलावा हनुमान चालीसा को भी उन्होंने कपड़े पर उकेरा.
75 से 80 खंड में बनेगी संविधान की किताब:कपड़े पर संविधान लिख रहे हाजी इरशाद अली बनारसी ने बताया कि इससे पहले मैंने गीता, कुरान और हनुमान चालीसा पूरी की थी. इसके बाद भारत के संविधान पर काम शुरू किया है. मैंने अभी इसकी उद्देशिका बनाई है. इसे देश के राष्ट्रपति को गिफ्ट देना चाहूंगा. हिन्दी में लिखी उद्देशिका को काशी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देना चाहूंगा. ये किताब कम से कम 75 से 80 खंड में बनेगी.
कम से कम लगेंगे 5 से 6 साल:इरशाद अली बनारसी ने बताया की उद्देशिका बना ली गई है. जल्द ही इसको लिखने का काम भी शुरू कर देंगे. अगर हम 8 घंटे रोजाना इसे लिखते हैं, तो कम से कम 5 से 6 साल लगेंगे. अगर कम खंडों में लिखेंगे तो उसी हिसाब से वक्त लगेगा. एक साल में 6 खंड पूरे हो पाएंगे. ये संविधान मिट्टी से लिखा हुआ है. इसमें केसर लगा हुआ है. दोनों ही भाषाओं में लिखे जा रहे संविधान की मिट्टी में खाने वाली गोंद मिली हुई है.