वाराणसी: गुप्त वंश के वीर स्कंद गुप्त विक्रमादित्य के 1600 वर्ष बाद बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ था, जिसका शुक्रवार को समापन हो गया. देश विदेश से विद्वानों ने अपनी बात रखी और गुप्त वंश पर चर्चा की. संगोष्ठी का समापन सत्र के दौरान सभी ने इस बात को माना कि देश की आजादी के साथ हूणों के आक्रमण से स्कंद गुप्त ने देश को बचाया. हम भले ही उन्हें इतिहास में भूल गए, लेकिन अब स्वर्णिम युग है, उन्हें फिर से याद करने का. इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे.
वाराणसी: बीएचयू में स्कंद गुप्त विक्रमादित्य पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन - काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे गृृह मंत्री
वाराणसी के बीएचयू में भारत अध्ययन केंद्र द्वारा वीर योद्धा स्कंद गुप्त विक्रमादित्य का पुण्य स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ. समापन सत्र में वक्ताओं ने अपनी अपनी बात रखी और स्कंद गुप्त के इस पुनः स्मरण को हर विश्वविद्यालय और कॉलेजों तक ले जाने का संकल्प लिया.
गुप्त साम्राज्य का दायरा दक्षिण एशिया में फैला था
विद्वानों का मानना है कि जो गुप्त साम्राज्य शासन भारत में चल रहा था, उसका दायरा दक्षिण एशिया में फैला था. इसका प्रभाव श्रीलंका और अनेक देशों तक विद्वानों ने माना है. कम से कम इन पूरे क्षेत्र में जो कला संस्कृति स्थापित्य है, मंदिर की वास्तु रचना है, इन सब पर स्कंद गुप्त के समय भी काफी काम हुआ है. विशेष करके जो बौद्ध शिक्षा के केंद्र हो गए थे, उनको भी पूरा राजकीय समर्थन गुप्त साम्राज्य ने दिया.
गुप्त साम्राज्य का जो दायरा था वह लगभग लगभग दक्षिण एशिया है. थाईलैंड, वियतनाम सहित मलेशिया और इंडोनेशिया इन सब देशों पर गुप्त साम्राज्य का बहुत गंभीर असर था. सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से तमाम जो द्विपक्षीय व्यापार संबंध चलते हैं इसकी बुनियाद भी उस समय से ही थी.
-प्रो राकेश उपाध्याय, भारत अध्ययन, केंद्र बीएचयू