वाराणसी: नर्स जिन्हें हम और आप अक्सर सिस्टर कह कर पुकारते हैं. जो हर मुश्किल घड़ी में मरीजों के साथ हर समय खड़ी रहती है. आम दिन हो या कोरोना के खिलाफ जंग, ये नर्स बिना किसी डर के सहजता और उत्साह से अपने कर्तव्य का पालन कर रही है. इसलिए नहीं कि यह उनका काम है और उसके लिए उन्हें पैसे मिलते हैं. इसलिए कि वह अपनी जान की परवाह किए बिना, सबसे पहले दूसरों के स्वस्थ होने और उनकी जान की फिक्र करती हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में मां के स्वरूप में स्नेहपूर्ण और फिक्र के साथ हर किसी की देखभाल और परवाह करने के शब्द को ही नर्स कहा जाता है. इसी उत्साह को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस हर वर्ष 12 मई को मनाया जाता है. दुनिया की सबसे प्रसिद्ध नर्स, फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर इस दिवस को मनाया जाता है. इस वर्ष इसकी थीम 'अ वॉइस टू लीड' रखी गई हैं.
मरीजों की सेवा कर मनाते हैं नर्स दिवस
एसएसपीजी चिकित्सालय में तैनात स्टाफ नर्स किरण ने अपनी बातों को सांझा किया. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस वह मरीजों की सेवा करके ही मनाती हैं. उन्होंने कहा कि यह उनका धर्म है. वह बीते दिनों से लगातार ड्यूटी कर रही हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में वे लोगों को वैक्सीन लगा रही है. वे बताती हैं कि जब ड्यूटी के बाद घर जाती हूं तो सभी से बिल्कुल अलग हो जाती हूं. खुद को सैनिटाइज करने के बाद ही परिजनों से बातचीत करती हूं. घरवालों से बातचीत के दौरान वह कोरोना को बीच में नहीं आने देती हैं, क्योंकि वह अस्पताल तक ही सीमित है.
नर्सिंग ऑफिसर बीनू सैनी ने बताया कि कभी-कभी बहुत चैलेंजिंग हो जाता है. एक नर्स को एक साथ कई जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है. अस्पताल में हम एक नर्स के रूप में मरीजों की देखभाल करते हैं, तो परिवार में एक मां के रूप में अपने बच्चों का लालन-पालन करते हैं. इन दिनों मुश्किलें बढ़ गई हैं. कोविड 19 के चलते बच्चे घर पर हैं. ऐसे में बच्चों की देखरेख के साथ ड्यूटी करना थोड़ा चैलेंजिंग है. मरीजों की देखरेख को लेकर उन्होंने कहा कि मरीज गंभीर बीमारी से ग्रसित और कुछ तो बहुत ही नाजुक स्थिति में होते हैं. ऐसी स्थिति में मरीज की देखभाल बहुत ही चुनौती पूर्ण होती है. जरा सी लापरवाही होने पर जनहानि हो सकती है. मरीज की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ नर्स पर ही होती है.
'मरीज की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि'