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काशी में अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव : 'रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता' की धूम, मंकी किंग के रूप में दिखे भगवान हनुमान

काशी में अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (international film festival) में 'रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता' की धूम मची है. पटकथा रामायण की और फिल्म का दृश्यांकन चीन की संस्कृति के हिसाब से है. फिल्म के माध्यम से भगवान राम और माता सीता (Lord Ram and Mother Sita) की कहानी पूरे विश्व को सुनाने की कोशिश की गई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 2, 2023, 7:10 PM IST

काशी में चल रहे अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में 'रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता' को काफी पसंद किया गया है.

वाराणसी :धर्म नगरी काशी में छठवें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की शुरुआत एक दिसंबर से हो चुकी है. यह फिल्मोत्सव तीन दिन तक चलेगा. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस फिल्मोत्सव में संस्कृति और पर्यटन पर आधारित फिल्मों को प्रदर्शित किया जा रहा है. ऐसे में सबसे पहले जिस फिल्म की स्क्रीनिंग की गई वह भगवान राम पर आधारित थी. फिल्म का टाइटल था 'रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता'. यह फिल्म चीन की है, जिसमें वहां के मंकी किंग, जिनकी वे पूजा करते हैं, के आधार पर हनुमान जी को दिखाया गया है. इसके साथ ही भगवान राम और माता सीता की कहानी चीन के साथ ही पूरे विश्व में पहुंचाने की कोशिश की गई है.

वाराणसी के कचहरी स्थिति कमिश्नरी ऑडोटोरियम में फिल्म फिस्टिवल की शुरुआत हुई. इस फिल्म फेस्टिवल में 44 देशों की 94 फिल्मों को प्रदर्शित किया जा रहा है. फेस्टिवल में ज्यूरी में अभिनेत्री देबाश्री रॉय, मधुरिमा तुली, लेखक-निर्देशक रूमी जाफरी, विनोद गलाना, अभिनेता सुधीर पांडेय और अशोक कुमार बर्मन शामिल हैं. अन्तरराष्ट्रीय स्तर की करीब 115 देशों की 3212 फिल्में आई थीं. उसमें मुंबई में बैठी प्री-ज्यूरी ने 45 देशों की करीब 94 फिल्में चुनी हैं. ये फिल्में बनारस में दिखाई जाएंगी. मुंबई से ही आई ज्यूरी बेस्ट फिल्म सेलेक्ट करेगी. विजेताओं को IFFC-लेडी स्टैच्यू की कलात्मक एंटीक स्ट्राइकिंग ट्रॉफी से सम्मानित किया जाएगा.

फिल्म का दृश्यांकन चीन की संस्कृति के हिसाब से

फेस्टिवल के डायरेक्टर श्रीनिवास नायडू ने बताया कि रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता हमारे फेस्टिवल की ओपनिंग फिल्म रही है. इसे ओपनिंग में इसलिए भी रखा गया क्योंकि जिस धरती पर हम आए हैं वह धर्म की धरती है. इसके पीछे हमारा सोचना था कि फेस्टिवल को धर्म के साथ शुरू किया जाए. इसमें राम-सीता की ही कहानी है. मगर इसका जो दृश्यांकन है, उसको फिल्म बनाने वालों ने चीन के लोगों में देखा है. जब हम पत्थर में मूर्ति देखते हैं तो उसी को अपना राम मान लेते हैं. अगर हम उसी चीज को प्रतीकात्मक या नाट्य रूप में देखते हैं तो उस रूप को मनुष्य में देखते हैं.'

'रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता' टाइटल से किताब

वे बताते हैं, इस फिल्म में राम, सीता और हनुमान उन्हीं के परिधान में हैं. संगीत भी चीन का ही है. यह एक शॉर्ट फिल्म है जोकि 3.30 मिनट की है. यह एक प्रमोशनल फिल्म भी है. इस पर साई सुरेंद्र और इनकी पत्नी ने मिलकर एक किताब लिखी है 'रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता' टाइटल से. सुरेंद्र की पत्नी सीता का किरदार भी निभा रही हैं. आने वाले समय में ये लोग इसे एक फीचर फिल्म के रूप में देख रहे हैं. चीन में फिल्म का मार्केट बहुत बड़ा है. इस फिल्म को चीन में प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया था. इसे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत सारे अवार्ड मिल चुके हैं. साई सुरेंद्र हॉलीवुड की कई फिल्मों को विजुअल डायरेक्टर रहे हैं.'

7-8 सालों तक इस फिल्म के लिए की गई रिसर्च

श्रीनिवास नायडू ने बताया, साई सुरेंद्र विजुअल इफेक्ट डायरेक्टर के रूप में इस फिल्म को देख रहे हैं. ऐसे ही आदिपुरुष फिल्म आई थी, जो फ्लॉप हुई. वह फिल्म विजुअली उस आभा को तैयार नहीं कर सकी थी. उस समय को वे लोग विजुअली क्रिएट नहीं कर पाए. सुरेंद्र का काम हॉलीवुड का अधिक रहता है. वे वहां की फिल्मों के लिए काम करते हैं. पिछले 7-8 सालों से वे इसी पर रिसर्च कर रहे हैं कि किस तरह से हम राम को चाइना में स्थापित करें. चीन के लोग कहते हैं मंकी किंग हमारे हनुमान जी जैसे दिखते हैं. मंकी किंग को चीन के लोग भगवान के रूप में पूजते हैं. ऐसे में प्रतीकात्मक रूप से यह भी दिखाना चाहते हैं कि जो आपके मंकी किंग हैं, वे हमारे भगवान हनुमान हैं.'

हनुमान जी और मंकी किंग की कहानी बताती है फिल्म

फिल्म से जुड़े सुरजित ने बताया, साई सुरेंद्र हमारी फिल्म के डायरेक्टर हैं. उन्होंने 'मंकी इन हिज लैंड' फिल्म को प्रोड्यूस किया है, जिसे लगभग 20 अवार्ड मिल चुके हैं. इसके साथ ही कई प्लेटफॉर्म्स पर इसकी स्क्रीनिंग भी हो चुकी है. यह फिल्म हमारे हनुमान जी और चीन में मंकी किंग की कहानी बताती है. इस फिल्म में राम, सीता और हनुमान जी का कैरेक्टर है. इसके बारे में जितना भी लोग सुन रहे हैं वे लोग इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं. हमने इस फिल्म को रामायण की कहानी सुनाने के लिए बनाया है. इस फिल्म की कहानी उन लोगों के लिए है जो चीन में राम और सीता की कहानी जानना चाहते हैं.'

चीन के लोगों के लिए तैयार की काल्पनिक कहानी

उन्होंने बताया, इस फिल्म को हमने सिर्फ चीन के लिए नहीं, बल्कि ग्लोबली रिलीज के लिए बनाया है. मगर चीन के लोग पहले से ही मंकी किंग के बारे में जानते हैं. ऐसे में जब आप हमारी फिल्म देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि राम और सीता जी के साथ ही हनुमान जी को हमने दिखाया है. हनुमान जी को हमने मंकी किंग की तरह प्रदर्शित किया है. वहां के लोगों को सुनाने के लिए हमने एक काल्पनिक कहानी तैयार की है. क्योंकि वे मंकी किंग को जानते हैं. इस फिल्म को हमने ग्लोबल पिक्चर के रूप में तैयार किया है.' बता दें कि इस फिल्म को बनारस फिल्म फेस्टिवल में सबसे पहले प्रदर्शित किया गया है, जिसे काफी पसंद भी किया जा रहा है.

इन देशों की फिल्मों की हो रही स्क्रीनिंग

महोत्सव में चाइना की फिल्म रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता, भारत की फिल्म द लैंड ऑफ जंगल बुक, नेपाल की फिल्म सर्पमा विस्बास (ब्लीफ इन स्नेरक), स्पैन की वाराणसी रोड, अमरीका की एनिमेशन फिल्म स्टैच्यू, ब्राजील की लव द आयरलैंड की स्क्रीनिंग की जाएगी. इसके साथ ही ईरान, इंग्लैंड, फिलिपीन, एक्वाडोर, इटली, चेक रिपब्लिक, हौंडूरस, इजराइल, डैनमार्क, नाइजीरिया, कोलंबिया, नीदरलैंड, जर्मनी, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया व अन्य देशों की फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी. ऐसे में देश-विदेश की जगहों को वर्चुअली घूमने के लिए वाराणसी के लोगों के लिए यह बेहतरीन मौका है. इसके लिए नि:शुल्क मौका मिल रहा है.

पूरा विश्व देखेगा बनारस की संस्कृति

इंडियन इंफोटेन्मेंट मीडिया कॉरपोरेशन के चेयरमैन देवेंद्र कहते हैं, अभी 10-20 सालों में वाराणसी इतना अधिक प्रचारित हो गया है कि पूरे विश्व के लोग यहां पर आना चाहते हैं. हमने जब फिल्म समारोह शुरू किया था तो लोगों ने जयपुर को पसंद किया था. पर बाद में लोगों ने बनारस को पसंद करना शुरू कर दिया. लोगों ने कहा कि वाराणसी में प्रोग्राम कीजिए तो हम जरूर आएंगे. इस फेस्टिवल में ज्यूरी ने उत्तर प्रदेश से आगरा फिल्में, बनारस की फिल्मों को भी रखा है. इसमें बनारस की एक बहुत ही बढ़िया फिल्म है जो किसी विदेशी फिल्मकार ने बनाई है. बनारस को पूरा विश्व देखेगा कि बनारस की संस्कृति क्या है.'

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