वाराणसी:शिष्य अपने गुरुओं के मार्गदर्शन में बड़ी-बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेते हैं. ऐसे में यह बात बिल्कुल सही है कि अगर सही मार्गदर्शन किया जाए, तो व्यक्ति सफल जरूर होता है. काशी के लाल ने ऐसा ही कार्य किया है. काशी के इस लाल ने अपने माता-पिता के साथ वाराणसी का नाम भी विश्व पटल पर रोशन किया है. हम बात कर रहे हैं काशी के अर्जुन की...
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ काशी के 'अर्जुन' का कीर्तिमान - आर्ची चैंपियनशिप
काशी के नन्हे धनुर्धर अर्जुन का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है. इसके साथ ही अर्जुन ने अपने माता-पिता के साथ वाराणसी का नाम भी विश्व पटल पर रोशन किया है.
माता पिता को ही माना गुरु
अर्जुन ने छः साल की उम्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिया में ढेरों मेडल जीते हैं. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम भी दर्ज कराया है. अर्जुन के इस सफलता के पीछे कोई और नहीं बल्कि उसके गुरु उसके पिता का हाथ है. अर्जुन के माता-पिता ने एक गुरु की तरह अर्जुन को शिक्षा दिया और निरंतर अग्रसर चलने के लिए प्रेरित किया. एकेडमिक शिक्षा के बाद अर्जुन अपने माता-पिता के साथ अपने पसंदीदा खेल तीरंदाजी का प्रैक्टिस करते हैं. इसलिए वह अपने माता-पिता को ही अपना गुरु मानते हैं.
अर्जुन सिंह ने बताया कि तीरदांजी करना उन्हें बहुत ही पसंद है और जिसके लिए उनके माता-पिता सहयोग करते हैं. इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ है, जो माता-पिता के मेहनत से संभंव हुआ है. मैं नेशनल और इंटरनेशनल सबसे कम उम्र का तीरंदाजी प्रतियोगिता जीतने वाला खिलाड़ी हूं.