वाराणसी: देश में अलग-अलग सेक्टर में मंदी की आहट से व्यापारी वर्ग परेशान है. इन सबके बीच पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हस्त निर्मित कालीनों, रग्स और फ्लोर कवरिंग के लिए चार दिवसीय इंडिया कार्पेट एक्सपो 2019 का आगाज हुआ. भारत सरकार के अधीन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद की तरफ से 15वें कालीन मेले में बड़ी संख्या में विदेशी खरीदारों के साथ कालीन निर्माता अपने उत्कृष्ट उत्पादन के साथ पहुंचे हैं. हर साल अक्टूबर में ही कार्पेट एक्सपो का आयोजन किया जाता है.
पिछले साल लालपुर स्थित हस्तकला संकुल में हुआ था आयोजन
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम को बीते साल लालपुर स्थित हस्तकला संकुल में शिफ्ट किया गया था. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने खुद की थी. इस बार यह आयोजन फिर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान में आ गया है. एक्सपो का शुभारंभ गुरुवार को केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के सचिव रवि कपूर ने किया. 6000 वर्ग फीट एरिया में लगाए गए कार्पेट एक्सपो में वाटरप्रूफ और एयर कंडीशन से लैस किया गया है, जिसमें 230 से अधिक कालीन निर्माता निर्यातक अपने उत्कृष्ट उत्पादों की प्रदर्शनी लगाएं हैं.
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2022 तक 20 हजार करोड़ तक का होना है टर्नओवर
इस आयोजन में 49 देशों के करीब 400 खरीदार इन 4 दिनों में यहां पहुंचने वाले हैं. कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के सदस्य और कालीन निर्यातक संजय गुप्ता का कहना है कि मंदी का असर तो हर जगह होता है, लेकिन जिनको काम करना होता है, उनके लिए मंदी का कोई असर नहीं होता. पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने कालीन उद्योग को 10 हजार करोड़ का टर्नओवर बढ़ाकर 2022 तक 20 हजार करोड़ करने का लक्ष्य दिया था. इस बार यह 12000 करोड़ पर पहुंच चुका है. माना जा रहा है कि 3 साल के अंदर हम उस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे जो प्रधानमंत्री ने 2018 में हमें दिया था.
इन देशों के खरीदार होंगे शामिल
कालीन निर्यातकों का कहना है कि 49 देशों के अलग-अलग खरीदारों के आने से निश्चित तौर पर कालीन उद्योग को एक संजीवनी मिलेगी, क्योंकि इस लिस्ट में जहां अमेरिका से 57 वहीं चीन से 36 कस्टमर्स के आने की बात कही जा रही है. इसके अलावा कुवैत, कतर, जापान, फ्रांस, इटली, कनाडा, चीन, ऑस्ट्रेलिया, नार्वे के साथ ही कई अन्य देशों के आयातक भी यहां आने वाले हैं. पहली बार कजाकिस्तान के खरीदारों के आने की भी बात कही जा रही है. देश से निर्यात होने वाले कालीन का करीब 60 फीसदी उत्पादन कालीन भदोही और मिर्जापुर में होता है.