चंदौली :मोबाइल टॉवर इंजीनियर अपहरण कांड के 20 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं. पुलिस की पड़ताल गिरफ्तारी बरामदगी की बजाय जांच तक पहुंची. हालांकि पुलिस ने अपहृत इंजीनियर के साले की तहरीर पर आरोपी जिला पंचायत सदस्य गोपाल सिंह बबलू, उनके भाई विजय सिंह व उनके साथियों पर अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
इसके बावजूद अभी तक आरोपित गोपाल सिंह व अन्य लोगों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी. चर्चा है कि मामला बीजेपी से जुड़ा है. ऐसे में पुलिस नामजद मुकदमा दर्ज करने के बावजूद बिना ठोस साक्ष्य व सुबूतों के इसमें हाथ डालने से बच रही है. वहीं बीती देर रात पूछताछ के लिए बब्लू सिंह समेत अन्य लोगों को बैठाया गया है.
दरअसल, चंदौली जिले में मोबाइल टावरों से रंगदारी वसूलने और तेल चोरी का खेल पुराना है. इंडस टावर कंपनी के जेई के अपहरण और इसमें सत्ता पक्ष के जिला पंचायत सदस्य का नाम सामने आने के बाद एक दशक पहले हुए हत्याकांड की तस्वीर जेहन में ताजा हो गईं हैं. वर्तमान जिला पंचायत सदस्य गोपाल सिंह बब्लू के छोटे भाई राजकुमार की इसी मामले में हत्या कर दी गई थी.
मोबाइल टावर में तेल भरने को लेकर राजकुमार की तत्कालीन छात्रसंघ महामंत्री राकेश सिंह डब्बू से लड़ाई हुई. राजकुमार ने डब्बू सिंह की इतनी पिटाई की कि वह महीनों तक अस्पताल में रहा. बाद में राजकुमार सिंह का अपहरण और बाद में हत्या कर दी गई.
इसमें छात्रनेता राकेश सिंह डब्बू उसके साले कुंदन सिंह, सुभाषनगर की वर्तमान सभासद आरती यादव के पति श्रवण यादव सहित आधा दर्जन लोग आरोपित बनाए गए. पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया था. इंजीनियर के अपहरण के बाद मामला एक बार फिर सुर्खियों में है.
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गौरतलब है कि गांव-गांव टावर लगने से घरों में मोबाइल कनेक्टिविटी के साथ ही माफियाओं ने इस बदलाव को अपने लिए अवसर में बदल लिया. टावरों को चलाने के लिए लगे जेनरेटरों से तेल चोरी के खेल में माफिया सीधे अपनी हिस्सेदारी लेने लगे. मोबाइल टावर कंपनियों को चूना लगता रहा और माफ़िया मालामाल होते चले गए.
धीरे-धीरे तेल चोरी के इस खेल ने अवैध कारोबार का रूप ले लिया. पहले तो छुटभैये बदमाश इसमें शामिल थे लेकिन पैसा बरसने लगा तो बड़े माफियाओं ने भी इसमें रुचि दिखानी शुरू कर दी. इसके बाद माफिया गिरोह ने अपने-अपने क्षेत्र बांट लिए और तय हुआ कि कोई एक दूसरे के इलाके में नहीं दखल नहीं देगा.