वाराणसी: सावन के महीने में काशी बोल बम के नारों से गूंजती है. काशी का चप्पा-चप्पा, सड़क और गलियां केसरिया रंग के कपड़े पहने कांवरियों की भीड़ से पटी नजर आती हैं. हर तरफ सिर्फ शिव के नाम का जोर होता है, लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना ने ऐसा कहरबरपाया है कि सावन में हमेशा भीड़-भाड़ और शिव के भक्तों से पट्टी रहने वाली काशी इस बार बिल्कुल सुनसान पड़ी है.
न मंदिर में भीड़ है, न बाजार में रौनक
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की भीड़ सावन के सोमवार से पहले ही शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार न मंदिर में भीड़ है और न बाजार में रौनक. हाल यह है कि सावन का इंतजार करने वाले व्यापारी, भक्त और इस मौके का लाभ उठाने वाले अन्य लोग बिल्कुल मायूस हैं. सवाल बस यही है कि आखिर उनका क्या कसूर था, जो इस वायरस ने उनकी रोजी-रोटी को इस महापर्व के दौरान भी उनसे छीन लिया.
सावन में शिव भक्तों से गुलजार रहती है काशी
दरअसल, वाराणसी में सावन के दौरान हर साल लगभग 1 महीने के अंदर 20 से 22 लाख की भीड़ आती है, जिसमें कांवरिया, लोकल पब्लिक और देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने की नियत से यहां पहुंचते हैं. काशी विश्वनाथ के अलावा काशी के अन्य शिव मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ 'बोल बम' के नारे के साथ पहुंचती है. पूरे सावन के एक महीने तक काशी शिव भक्तों की भक्ति में रमी नजर आती है.
सावन में जुटती है लाखों की भीड़
सबसे बड़ा फायदा काशी की अर्थव्यवस्था को मिलता है, क्योंकि हर रोज लाखों की भीड़ और सावन के सोमवार पर तीन से चार लाख की भीड़ काशी के मंदिरों में पहुंच जाती है, लेकिन इस बार चीन से फैले कोरोना वायरस ने ऐसा कहर बरपाया है कि इस सावन में बम-बम रहने वाली काशी बिल्कुल शांत है. विश्वनाथ मंदिर जाने वाले गोदौलिया चौराहे, दशाश्वमेध मार्केट, बांसफाटक चौक आदि जगहों की दुकानें बिल्कुल सुनसान हैं.