उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

वाराणसी: पर्यटन पर दिख रहा कोरोना का असर, पर्यटक नदारद

By

Published : Sep 14, 2020, 12:37 PM IST

धर्म अध्यात्म और संस्कृति की नगरी वाराणसी में कोरोना के कारण पर्यटन का हाल बेहाल है. पर्यटकों के नहीं आने से यहां काम कर रहे लोगों का जीवनयापन मुश्किल हो गया है.

पर्यटकों की आस में फोटोग्राफर
पर्यटकों की आस में फोटोग्राफर

वाराणसी:धर्म अध्यात्म और संस्कृति का शहर बनारस. इस नाम से ही प्रभावित होकर देश और दुनिया भर से सैलानी यहां शांति और आस्था की खोज में आते हैं. मां गंगा का पावन तट बाबा विश्वनाथ का धाम और गलियों के साथ यहां का कल्चर विदेशियों को सबसे ज्यादा अपनी तरफ खींचता है. यही वजह है कि साल दर साल बनारस में विदेशी सैलानियों के साथ देसी सैलानियों की संख्या भी बढ़ती गई, लेकिन जनवरी के बाद कोविड-19 का ऐसा कहर शुरू हुआ जिसने देखते ही देखते बनारस के पर्यटन उद्योग को अर्श से फर्श पर लाकर पटक दिया.

हर साल लाखों की संख्या में विदेशी सैलानियों का आंकड़ा पर्यटन विभाग को खुश कर रहा था, लेकिन इन 6 महीनों में यह आंकड़ा लाखों से घटकर हजारों पर पहुंचा गया, जिसने इस उद्योग से जुड़े होटल नाविक, गाइड और फोटोग्राफी करके अपना और परिवार का पेट पालने वाले लोगों को संकट में डाल दिया.

पर्यटन पर दिख रहा कोरोना का असर
वाराणसी में पर्यटन के बल पर लाखों परिवारों का पेट पलता है. घाट पर कैमरा लेकर घूमने वाले फोटोग्राफर से लेकर विदेशी सैलानियों को बनारस दिखाने वाले गाइड, होटलों में पर्यटकों को रोककर उन्हें बेहतर सुविधाएं देने वाले होटल व्यवसाई और नाविक हर कोई इस उद्योग के बल पर मजबूती से आगे बढ़ रहे थे, लेकिन कोविड-19 ने ऐसा कहर बरपाया कि सब पीछे हो गए.

गंगा घाट पर फोटोग्राफी करके अपना और परिवार का पेट पालने वाले शिवानंद सहानी का कहना है कि वह 11 सालों से घाट पर फोटोग्राफी का काम कर रहा है. वह हर रोज 900 से 1000 रुपये कमा लेता था, लेकिन लॉकडाउन ने सब बर्बाद कर दिया. उसने बताया कि चार महीने तक तो वह घर पर कैद रहा और जब बाहर निकला तो कमाई खत्म हो चुकी थी. इस वक्त जब धीरे-धीरे चीजें खुल रही हैं तब भी कमाई 150 से 200 रुपये प्रति दिन हो रही है, जिससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है.

वहीं इस महामारी की वजह से होटल कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. बनारस में लगभग 400 से ज्यादा होटल, गेस्ट हाउस संचालित होते हैं, जिनमें लगभग 4 महीने से एक भी सैलानी नहीं पहुंचे हैं. जून में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई तो धीरे-धीरे चीजें सुधरने की उम्मीद हुई, लेकिन हालात अभी वहीं के वहीं हैं. वहीं सैलानियों को बनारस दिखाने वाले गाइड भी परेशान हैं. उनका कहना है कि पेट पालना मुश्किल हो गया है. कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हालात ऐसे होंगे.

पर्यटकों का हाल 2019 में

विदेशी सैलानी भारतीय सैलानी
जनवरी 40462 345402
फरवरी 40156 385626
मार्च 46362 378851
अप्रैल 35657 272284
मई 32203 277209
जून 34280 280407
जुलाई 36320 285200
अगस्त 34310 290292

2020 जनवरी से अगस्त तक सैलानियों का आंकड़े पर नजर

विदेशी सैलानी भारतीय सैलानी
जनवरी 30156 255015
फरवरी 35202 268260
मार्च 33603 293076
अप्रैल 0 0
मई 0 0
जून 0 1384
जुलाई 0 1926
अगस्त 0 2859

पर्यटन उद्योग बनारस की रीड की हड्डी है. यहां की लगभग 80% जीडीपी इसी उद्योग से आती है. बहुत से लोग इस उद्योग से जुड़े हैं. लेकिन बीते कुछ महीने में सैलानियों का ना आना इस उद्योग की कमर तोड़ चुका है. हालात बुरे हैं. लेकिन उम्मीद है कि चीजें सुधर जाएंगी.
कीर्तिमान श्रीवास्तव, पर्यटन अधिकारी

ABOUT THE AUTHOR

...view details