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काशीनगरी के श्रवण कुमार, 3 साल से मां को डोली में बैठाकर करा रहे पंचकोसी यात्रा

कलयुग में भी श्रवण कुमार जैसे पुत्र हैं, जो अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने लिए उन्हें डोली में बैठाकर अपने कंधे के सहारे तीर्थस्थलों के दर्शन करा रहे हैं. ऐसे ही एक मां के पुत्र हैं, शिवेश मिश्रा, जो कि पिछले 3 सालों से अपनी माता को पालकी में बैठाकर पंचकोसी की यात्रा करा रहे हैं.

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काशीनगरी के श्रवण कुमार.

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Published : Oct 5, 2020, 10:18 PM IST

वाराणसी:कहते हैं कि कलयुग अपने चरम पर है और इस युग में लोग इंसानियत और अपनों को भूलकर केवल माया में ही परेशान रहता है. दिखावे की चकाचौंध में सब कुछ भूल जाने वाले लोग आपको बहुत लोग मिलेंगे, मगर इस युग में भी सत्कर्म करने वालों से अगर आपकी मुलाकात हो जाए, तो यह किसी सौभाग्य से कम नहीं.

काशीनगरी के श्रवण कुमार.
आपने सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत से वीडियो देखे होंगे, जिनमें लोग अपने माता-पिता के साथ अमानवीय व्यवहार करते नजर आते हैं. मगर हम आज आपके लिए एक ऐसा वीडियो लेकर आये हैं, जिसे देखकर आपके मन में भी अपने माता-पिता के प्रति प्रेम और आदर की भावना हिलोरे मारने लगेगी.जी हां, हम बात कर रहे हैं, वाराणसी के एक ऐसे श्रवण कुमार की जो पिछले 3 सालों से अपनी माता को पालकी में बिठाकर पंचकोसी की यात्रा करा रहे हैं.

वाराणसी के मैदागिन चौक थाना क्षेत्र के निवासी शिवेश मिश्रा अपने 95 साल की माता शीला मिश्रा को पालकी में बिठाकर गाजे बाजे के साथ पंचकोशी यात्रा कराते हैं. यह कार्य शिवेश पिछले 3 वर्षों से कर रहे हैं. मां को पालकी यात्रा कराते इस बेटे को सड़क पर आते-जाते जिन राहगीरों ने भी देखा, उसने इन्हें दिल से दुआ दी. लोग इनके नेक काम की सराहना करते नजर आए. मां को पालकी में बैठाकर शिवेश मिश्रा नारे भी ऐसे लगाते हैं, जिन्हें सुनकर मन प्रसन्न हो जाए. शिवेश मिश्रा इस यात्रा के दौरान 'जय कन्हैया लाल की, माता जी की पालकी' के नारे लगा रहे थे.

वहीं इस संबंध में शिवेश मिश्रा का कहना है कि माता-पिता की सेवा करना किसी भी देवी-देवता के पूजन करने से कहीं अधिक फलदायी है. वाराणसी में पंचकोसी यात्रा का अलग ही महत्व है. पंचकोसी यात्रा में भगवान शिव के पांच धामों की परिक्रमा की जाती है, जिसे एक कठिन परिक्रमा के रूप में भी देखा जाता है. ऐसी यात्रा पर अपनी मां को पालकी में बिठाकर परिक्रमा कराना किसी भी प्रकार के सत्संग या भगवान की पूजा से बढ़कर है.

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