वारराणसी: कोरोना वायरस से लड़ने के लिए देश में पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन लगातार पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में पीपीई किट की कमी की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिसे दूसरे देशों से लेना पड़ सकता है.
कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए पीपीई किट का प्रयोग किया जाता है, जिसका प्रयोग एक ही बार किया जा सकता है. आईआईटी बीएचयू का दावा है कि वह जल्द ही पीपीई किट दोबारा यूज में लेने लायक बना सकता है. Covid-19 से लड़ने के लिए मेडिकल स्टाफ की व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पीपीई की कमी से निजात पाने के लिए उनको विसंक्रमित कर दोबारा से उपयोग में लाया जा सके, उसके लिए तीन इलेक्ट्रोड चिकित्सा आटोक्लेव सिस्टम एक वरदान साबित हो सकता है.
दोबारा प्रयोग कर सकते है पीपीई किट
इस समस्या के समाधान के लिए आईआईटी बीएचयू में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मार्शल ने अपनी टीम जूही जयसवाल और आशीष कुमार के साथ मिलकर इस पर काम करना शुरू किया है. उन्होंने प्लैटिनम धातु के इलेक्ट्रोड को काम में लेकर तीन इलेक्ट्रोड सिस्टम से मइक्रोऑर्गेनिस्म विसंक्रमण के लिए चिकित्सा आटोक्लेव हेतु नई विधि विकसित की है. इस विधि से बैक्टीरिया कोशिकाओं को निष्क्रिय किया जा सकता है, जिससे उनके विकास की क्षमता कम हो जाती है.
इस विधि से सभी चीजों को आटोक्लेव किया जा सकता है. इस विधि में बहुत ही कम वोल्टेज की विभिन्न अवस्था का प्रयोग किया जाता है. इसके अंदर तापमान भी कमरे के तापमान जितना ही रहता है और ये बहुत ही कम समय में आटोक्लेव करने में सक्षम है. इस की कार्यक्षमता UV radiation विसंक्रमण से बेहतर है और इसका उपयोग सतह पर मौजूद बैक्टीरिया और वायरस को निष्क्रिय करने के लिए किया जा सकता है. अगर इसके लिए सरकार आवश्यक अनुदान दे तो इसको अंतिम कुछ टेस्टिंग करके बहुत आसानी से प्रयोग में लाने वाली मशीन के रूप में बना कर दिया जा सकाता है.