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IIT BHU का कमाल: किसानों की पराली से अब नहीं होगा प्रदूषण, बनेगी बायोगैस और कमाएंगे पैसे! - IIT BHU researchers

IIT BHU के शोधार्थियों ने पराली से बायोगैस और खाद (Biogas and Fertilizer From Stubble) बनाने की तैयारी कर रहे हैं. अब पराली से प्रदूषण नहीं फैलेगा. किसानों की आय ही बढ़ेगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 13, 2023, 8:45 AM IST

Updated : Nov 13, 2023, 1:54 PM IST

प्रोफेसर और शोधार्थी छात्रा ने बताया.

वाराणसीःइस साल की दिवाली के समय बिल्कुल ठंड नहीं है. ऐसे में एक बार फिर धुंध, -धुआं और पराली का मुद्दा सोशल मीडिया से लेकर समाचार चैनलों पर चलना शुरू हो गया है. पराली जलाए जाने पर वायु प्रदूषण बढ़ने का हर साल नया रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है. ऐसे में सवाल है कि आखिर कब तक किसान पराली को लेकर ये सब सहते रहेंगे. ऐसे में IIT BHU के शोधकर्ताओं ने एक रास्ता खोज निकाला है. यहां शोधकर्ता पराली से बायोगैस और खाद बनाने की तैयारी कर रहे हैं. इससे न सिर्फ पराली जलाने की समस्या से निजात मिलेगी, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी. आइये समझते हैं कि कैसे हो रहा ये काम...

पराली से बनेगा बायोगैस.

पराली से किसानों की बढ़ेगी आय
IIT BHU के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग में पराली पर शोध किया जा रहा है. इससे यहां पर बायोगैस तैयार करने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है. खास बात यह है कि यह प्रक्रिया लगभग सफल हो गई है. इस शोध के तहत बाकायदा पराली के जरिए न सिर्फ बायो गैस तैयार की जा रही है बल्कि बचे हुए अपशिष्टों से खाद तैयार किया जा रहा है. अब किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़गी. अब पराली किसानों के आय का जरिया बन सकती है. उसके साथ ही पराली से बेहतर खाद तैयार कर किसान अपनी खेती को और भी बढ़िया कर सकते हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि इस पराली से वह बिजली उत्पादन का भी काम कर सकते हैं.

पराली से बनेगी बायोगैस.

पराली से बायोगैस और उर्वरक का निर्माण
'हमें जैसा कि पता है कि गोबर का उपयोग गोबर गैस के लिए भी किया जाता है. यह गांवों की टेक्नोलॉजी है. यह टेक्नोलॉजी गावों में बरसों से है, लेकिन उसे हम भूलते जा रहे हैं. यहां तक कि नासा अपने स्पेस रिसर्च सेंटर में इस गैस का प्रयोग कर रहा है. नासा की योजना गोबर गैस से रॉकेट उड़ाने की है. जबकि इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग गांवों में हो रहा है.

IIT BHU के शोधार्थी पराली से बायोगैस बना रहे हैं.

बीएचयू के प्रोफेसर ने बताया
IIT BHU के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अभिषेक ढोबले ने बताया कि 'एक प्रोजेक्ट पर हम सभी मिलकर काम कर रहे हैं, क्योंकि आजकल पराली जलाया जाना एक बड़ा मुद्दा बन चुका है. देश में दिवाली के समय कई शहरों में धुंआ और धुंध काफी हो जाता है. ऐसे में उनके प्रोजेक्ट में पराली को बायोगैस में बदलने की योजना बनाई जा रही है. इसके अलावा ही उसका बचा हुआ उर्वरक हम खेतों में प्रयोग कर सकते हैं.'

IIT BHU का बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग.

पराली को गैसों में बदल रहे
प्रोफेसर ने बताया कि 'पराली को बायोगैस में कन्वर्ट करके उसकी (सीबीजी) कंप्रेस्ड बायो गैस या फिर बायो सीएनजी (बायोलॉजिकल कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) तैयार कर रहे हैं. इस गैस से हमारी गाड़ियां भी चल सकती हैं. इस गैस को तैयार करने का उनका एक प्रयोग चल रहा है. ऐसे में किसान पराली को जलाएंगे भी नहीं और उनकी आय भी बढ़ेगी. शुरुआती जांच में हमें इसके काफी अच्छे परिणाम मिले हैं. यह बायो रिसोर्स टेक्नोलॉजी नाम के एक प्रतिष्ठित जर्नल में पब्लिश भी हुआ है. हमें पता चला है कि अगर हम पराली का फंगल फ्री ट्रीटमेंट करें तो उससे नॉन फंगल ट्रीटमेंट पराली की अपेक्षा अधिक बायोगैस मिल सकती है.'

पीएचडी द्वितीय वर्ष की छात्रा मधुमिता प्रियदर्शिनी.

पराली होगी बायोगैस में परिवर्तितप्रो. अभिषेक ढोबले ने बताया कि 'हमने एक ऐसा प्रोसेस डेवलप किया है जिससे कि पराली जल्द से जल्द बायोगैस में परिवर्तित हो सके. हमारे देश में इसकी जरूरत है कि हम एग्रीकल्चरल रिसोर्सेज का यूज करके एक सस्टेनेबल तरीके से बायो एनर्जी रिसोर्सेज तैयार करें. पराली एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसके अलावा भी बाकी बायो रिसोर्सेज भी इसके लिए प्रयोग किए जा सकते हैं.' बता दें कि केंद्र सरकार भी लगातार बायो फ्यूल पर काम करने की बात करती है. वहीं हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों पर भी जोर दिया जा रहा है. अब बीएचयू का यह प्रयास मजबूती देता हुआ दिखाई दे रहा है.

बढ़ेगा बिजली का उत्पादन
शोध कार्य से जुड़ीं पीएचडी द्वितीय वर्ष की छात्रा मधुमिता प्रियदर्शिनी ने बताया कि 'पराली सामान्यतः खराब होती है. यह एग्रीकल्चर वेस्ट होता है. इसे हम गौवंशों को भी नहीं खिला सकते हैं. ऐसे में लोग इसे खेतों में जला देते हैं. इसकी वजह से पर्यावरण बहुत ही प्रदूषित होता है. पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की तरफ वायु प्रदूषण की मात्रा बहुत ही अधिक बढ़ जाती है. ऐसे में हम गाय के गोबर के साथ पराली को मिक्स करके उसका एनरोबिक डाइडेशन करने की कोशिश कर रहे हैं. उससे हम बायो सीबीजी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके माध्यम से हम बिजली का भी उत्पादन कर सकते हैं.'

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Last Updated : Nov 13, 2023, 1:54 PM IST

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