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वाराणसी: बंगीय रीति रिवाज के साथ स्थापित की गई मां दुर्गा की प्रतिमा

यूपी के वाराणसी में देशके अलग-अलग हिस्सों के लोग रहते हैं. ऐसे में सभी अपने-अपने रीति रिवाजों और परम्पराओं के मुताबिक सारे त्यौहार और व्रत पूजा आदि करते हैं. इसी क्रम में यहां आज बंग समाज के लोगों ने अपनी परम्परा के अनुसार ढोल, मजीरा के साथ इस मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की.

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Published : Oct 23, 2020, 2:38 PM IST

स्थापित की गई मां दुर्गा की प्रतिमा
स्थापित की गई मां दुर्गा की प्रतिमा

वाराणसी:धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में दुर्गा पूजा बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती है. यहां पर लगभग 500 पंडालों में मां की प्रतिमा स्थापित की जाती है. वाराणसी में देश के अलग-अलग प्रदेशों के लोग भी रहते हैं. इस लिए यहां कई पंडालों में बंगीय समाज भी प्रतिमा स्थापित करता है. आज वाराणसी के विभिन्न घाटों पर बंग समाज के लोगों ने ढोल, मजीरा के साथ इस अनुष्ठान को प्रारंभ किया. केले के वृक्ष के साथ नौ प्रकार के पत्तों का स्नान करने के साथ ही मां के अनुष्ठान को प्रारंभ किया.

बंगीय समाज के लोग मां के सारे अनुष्ठान भी अलग तरीके से करते हैं. इसके शुभारंभ में जहां मां की प्रतिमा पष्टी को स्थापित की जाती है वहीं सप्तमी से अनुष्ठान प्रारंभ होता है. इसी श्रृंखला में सप्तमी को नौ पत्तों का पूजन आयोजित किया जाता है. इसमें केला, हल्दी, बेल, जौ,धान,सुरन अशोक आदि 9 प्रकार के पौधों को गंगा जल में डुबकी लगाकर श्री लक्ष्मी के रूप में स्थापित किया जाता है.



इस प्रकार अनुष्ठान का होगा आयोजन
आज के अनुष्ठान के साथ अष्टमी तिथि की परंपरा के अनुसार संधि पूजन आयोजित किया जाएगा. इस पूजा में माता चामुंडा देवी की पूजा अर्चना की जाएगी तथा नवमी तिथि को कन्या पूजन एवं श्रृंगार का कार्यक्रम आयोजित होगा. वहीं एकादशी के दिन महिलाएं सिंदूर होली खेलती हैं. इसके पीछे मान्यता है कि महिलाओं के सिंदूर खेलने से सदा सुहागन होने का माता रानी आशीर्वाद मिलता है. वहीं विजय दशमी तिथि को माता रानी की मूर्ति का विसर्जन के बाद नीलकंठ पक्षी को उड़ाया जाता है.

पुजारी नरेंद्र चक्रवर्ती ने बताया आज सप्तमी है. सप्तमी और नवमी तिथि को स्नान होता है. हम सभी लोग मां गंगा में स्नान कराने आए हैं. उसके बाद हम लोग मंडप में प्रवेश करेंगे. मां की स्थापना की जाएगी. उसके बाद हमारा अनुष्ठान प्रारंभ होगा. हमारे समाज जिस तरह से माता आराधना की जाती है उसी तरह से हम लोग आराधना करते आ रहे हैं.

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