वराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में शुक्रवार को श्रद्धा का जन सैलाब देखने को मिला. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर लोलार्क कुण्ड वाराणसी में आस्थावानों का रेला उमड़ा. देश के कोने-कोने से आये लाखों श्रद्धालुओं ने शहर के भदैनी में स्थित पौराणिक लोलार्क कुंड में आस्था की डुबकी लगाई. ऐसी मान्यता है कि कुंड में स्नान करने और लोलार्केश्वर महादेव की पूजा करने से संतान की प्राप्ति और तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है.
लोलार्क कुंड के पुरोहित अविनाश पांडेय ने बताया कि आज लोलार्क छठ है. दूर-दूर से लोग इस कुंड में नहाने के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है आज के दिन स्नान करने से संतान और पुत्र की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि लोग स्नान कर रहे हैं. इस बार भगवान रुला केश्वर महादेव का दर्शन श्रद्धालुओं को नहीं करने दिया जा रहा है. ये प्रशासन का आदेश है. बाकी स्नान दूर से ही शुरू हो गया है.
सुरक्षा के कड़े इंतजामःकाशी के लोलार्क कुंड में स्नान के लिए भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से बैरिकेडिंग और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है. मजिस्ट्रेट भी तैनात किये गए हैं. सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी जगह-जगह तैनात हैं. पेयजल, बिजली सहित श्रद्धालुओं के अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है. मध्य रात्रि 12 बजे से ही लोग लोलार्क कुंड में स्नान करने के लिए लाइन लगा लगाकर खड़े थे.
ये है कहानीः मान्यता है भगवान सूर्य ने कई वर्षों तक यहां पर तपस्या की थी और शिवलिंग स्थापना की थी. यह शिवलिंग आज भी मौजूद है. इसके साथ ही यह भी कहा जाता है भगवान सूर्य का रथ का पहिया फंस गया था जिसके वजह से इस कुंड का निर्माण हुआ. सिलापट्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल स्थित बिहार ट्रस्ट के एक राजा चर्म रोग से पीड़ित थे और निसंतान थे. यहां स्नान करने से न केवल उनका चर्म रोग ठीक हुआ, बल्कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इसके बाद उन्होंने इस कुंड का निर्माण कराया था. इस कुंड को सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है.