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कैसे मिलेगा मंदिरों का इतिहास, गेट पर लगे QR Code Scan करने पर नहीं दे रहे जानकारी

वाराणसी के मंदिरों का इतिहास (Varanasi Temples History) जानने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने एक योजना शुरू की थी. इसके तहत हर मंदिर के गेट पर क्यूआर कोड (QR Code) लगाए गए थे, जिनको स्कैन करने पर मंदिर का पूरा इतिहास आपके मोबाइल फोन आ जाता. अब क्यूआर कोड तो लग गए लेकिन, उसको स्कैन करने पर जानकारी नहीं मिल रही. आईए जानते हैं कहां क्या दिक्कत आ रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 5, 2023, 7:44 PM IST

वाराणसी के मंदिरों को डिजीटल इंडिया से जोड़ने की योजना पर संवाददाता गोपाल मिश्र की रिपोर्ट

वाराणसी: बनारस में पर्यटकों की बढ़ रही संख्या और आए दिन अलग-अलग जगह से आने वाले श्रद्धालुओं को बनारस में मौजूद हजारों मंदिरों का इतिहास बताने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को सार्थक करते हुए वाराणसी प्रशासन ने एक प्लान तैयार किया था. यह प्लान था बनारस के मंदिरों के बाहर एक बार कोड लगाकर डिजिटल तरीके से मंदिरों की जानकारी हर किसी के मोबाइल पर पहुंचाने का था.

मोबाइल के युग में यह जरूरी भी था क्योंकि, बनारस में ऐसे एक नहीं दो नहीं बल्कि हजारों मंदिर हैं जो किस कालखंड के हैं और उनकी पौराणिकता कितनी महत्वपूर्ण है यह जानना बेहद जरूरी था. पीएम मोदी के डिजीटल इंडिया के सपने के तहत बनारस के मंदिरों के बाहर स्पेशल बार कोड लगाकर एक काशी यात्रा वेबसाइट से इसे लिंक करने का काम शुरू किया गया.

वाराणसी के विशालाक्षी मंदिर के बाहर श्रद्धालु

योजना सिर्फ कागजों पर दौड़ती रहीः2017 के बाद से लगभग 25 करोड़ रुपए की लागत से इस काम को अंजाम देने के लिए यूपीपीसीएल और पर्यटन विभाग ने मिलकर इस काम को पूरा करने का जिम्मा उठाया. काम शुरू हुआ वेबसाइट भी बनाई गई, विद्वानों की मदद से मंदिरों का इतिहास निकाला गया और वेबसाइट पर अपलोड किया गया, लेकिन यह प्लान सिर्फ कागजों पर ही दौड़ता नजर आ रहा है.

बार कोड स्कैन करने पर क्या मैसेज आ रहाःहालत यह है कि मंदिरों के बाहर लगे कर कोड को स्कैन करने पर वेबसाइट कनेक्ट तो होती है, लेकिन उसका सर्वर डाउन होने या फिर अन्य किसी तकनीकी समस्या की वजह से वेबसाइट ओपन ही नहीं होती है. जिसकी वजह से काशी के मंदिरों का इतिहास जानने के लिए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

वाराणसी का विशालाक्षी मंदिर

मंदिरों पर बार कोड लगाने का क्या था मकसदःइसे लेकर क्या प्लान है और इसे लेकर पुरानी प्लानिंग किस तरह से थी, इस बारे में यूपीपीसीएल के अधिकारियों ने मामले को पर्यटन विभाग के पाले में डाल दिया. पर्यटन विभाग के उपनिदेशक राजेंद्र कुमार रावत का कहना है कि दोनों विभागों को मिलकर इस काम को अंजाम देना था और अभी कार्य जारी है.

वाराणसी में लगभग 300 से ज्यादा मंदिर हैं जो पंचकोसी परिक्रमा मार्ग के अलावा अन्य रास्तों पर पड़ते हैं. उसे तैयार करके उन मंदिरों के बाहर बारकोड लगाने का काम किया गया है. इसके लिए हिंदी, इंग्लिश, तेलुगू समेत कई अन्य भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है, ताकि पर्यटक और श्रद्धालु अपने हिसाब से चीजों को मेंटेन कर सके और अपनी ही भाषा में जानकारी हासिल कर सकें.

बार कोड क्यों नहीं कर रहे कामःउन्होंने बताया की इस लिस्ट में अभी 500 अन्य मंदिरों की सूची भी तैयार की जा रही है, जिनको बारकोड के जरिए कनेक्ट करने का काम किया जाएगा, लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि बारकोड लगा तो दिए गए लेकिन काम ही नहीं करते. तो उनका कहना था कि पावन पथ योजना के तहत इस पर काम शुरू किया गया था. काम अभी चल रहा है. यह माना जा सकता है कि कुछ बार कोड काम नहीं कर रहे हैं. उसमें कुछ तकनीकी दिक्कत हो सकती है. उनको दिखाया जाएगा और उनको ठीक करवाकर अपडेट करवाया जाएगा.

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