वाराणसी:कोविड-19 का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. घर के अंदर खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग बार-बार साबुन से हाथ धो रहे हैं, लेकिन घर के बाहर निकलने पर लोगों के लिए सबसे बड़ा बचाव का तरीका है, हैंड सेनिटाइजर. अस्पताल से लेकर रेलवे स्टेशन, रेस्टोरेंट और लोगों के पॉकेट तक में सेनिटाइजर की बोतल उपलब्ध है. लेकिन क्या जिस सेनिटाइजर का हम इस्तेमाल कर रहे हैं वह हमारे लिए सुरक्षित है. या फिर ज्यादा सेनिटाइजर का इस्तेमाल कहीं फायदे की जगह नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है.
यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब जानने के लिए इस वक्त हर कोई परेशान है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जब किसी भी चीज की मार्केट में डिमांड बढ़ती है तो उसकी डुप्लीकेसी तेजी से होने लगती है और ऐसा ही कुछ हैंड सेनिटाइजर को लेकर भी देखने को मिल रहा है. नकली सेनिटाइजर बनाने वाले लोगों को नुकसान पहुंचा कर बस अपना उल्लू सीधा करने में जुटे हुए हैं. यूपी के कई जिलों में डुप्लीकेट हैंड सेनिटाइजर की फैक्ट्रियां पकड़ी गई हैं. आइए जानते हैं कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सेनिटाइजर की डुप्लीकेसी को रोकने के लिए तैयारियां हैं.
जांच की नहीं है कोई तैयारी
दरअसल वाराणसी ही नहीं बल्कि आसपास के जिले समेत कई अन्य जगहों पर सेनिटाइजर की काफी मात्रा में डिलीवरी होती है. वाराणसी में पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा मंडी सप्तसागर है. यहां हर दुकान में सेनिटाइजर बिकता मिल जाएगा. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि हर दुकान पर बिक रहे सेनिटाइजर के गैलन और बोतलों की जांच के लिए बनारस में कोई भी तैयारी नहीं है.