वाराणसीः संतान की कामना के साथ बुधवार को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर भदैनी के लोलार्क कुण्ड पर आस्थावानों का रेला उमड़ा. देश के कोने-कोने से आये लाखों श्रद्धालुओं ने शहर के भदैनी क्षेत्र स्थित पौराणिक लोलार्क कुंड में आस्था की डुबकी लगाई. ऐसी मान्यता है कि कुंड में स्नान करने और लोलार्केश्वर महादेव की पूजा करने से संतान की प्राप्ति और तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है.
संतान कामना के लिए लगाई डुबकी. इसे भी पढ़ें- इस कुंड में स्नान मात्र से पूरी होता है संतान कामना की इच्छा, लोलार्क छठ कल
वंश वृद्धि की चाह
मंदिर के पुजारी विजय मिश्र बताते हैं कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन यहां पर श्रद्धालु संतान और वंश वृद्धि की चाह लेकर आते हैं. कुंड में स्नान के बाद कोई एक फल या सब्जी का आजीवन त्याग करता है. इसके पीछे मान्यता है कि अपने पुराने कपड़ों के साथ ही वे अपने शारीरिक कष्टों को भी यहीं छोड़ जाते हैं.
पश्चिम बंगाल के राजा ने कराया इस कुंड का निर्माण
मान्यता है कि पश्चिम बंगाल स्थित बिहार ट्रस्ट के एक राजा चर्म रोग से पीड़ित थे और निसंतान थे. यहां स्नान करने से न केवल उनका चर्म रोग ठीक हुआ, बल्कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. उन्होंने इस कुंड का निर्माण कराया था. इस कुंड को सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है.
सुरक्षा के चाक-चौबंध इंतजाम
भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से बैरिकेडिंग और सुरक्षा के अन्य इंतजाम के साथ निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट तैनात किये गए हैं. सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी जगह-जगह तैनात हैं. साथ ही पेयजल, बिजली सहित अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है. मध्य रात्रि 12 बजे से ही लोग कुंड में लगातार स्नान कर रहे हैं और देर रात 12 बजे तक स्थान करेंगे.
संकल्प लेकर पति-पत्नी करते हैं स्नान
श्रद्धालु सुमन पांडेय ने बताया कि जिस भी दंपति को संतान प्राप्ति नहीं होती, वह संकल्प लेकर एक साथ कुंड में स्नान करते हैं. कोई एक फल जल में भगवान सूर्य को अर्पण करता है. मनोकामना पूर्ण होने के बाद वह कुंड में पुन: स्नान कर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं.