वाराणसी: 29 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा और इससे पहले धर्मनगरी वाराणसी में बुधवार को रंगभरी एकादशी का पर्व मनाया गया. इसके बाद से वाराणसी में होली का उत्साह चरम पर है. हर तरफ होली का हुड़दंग शुरू हो चुका है. सबसे बड़ी बात यह है कि अपने आराध्य देव आदि देव महादेव के साथ भक्तों ने आज कोविड-19 को भूल कर जमकर होली खेली है. काशी की गलियों में उमड़ी आस्थावानों की जबरदस्त भीड़ ने यह साबित कर दिया है कि कोविड-19 पर आस्था पूरी तरह से भारी है. कोविड-19 प्रोटोकॉल के नियमों को ध्वस्त करते हुए काशी में होली के हुड़दंग की शुरुआत और माता गौरा के गौने की रस्म धूमधाम के साथ पूरी हुई है.
लगभग 356 सालों से चली आ रही इस अद्भुत परंपरा का 357 वर्ष पूरा हुआ है. लंबे वक्त से बाबा भोलेनाथ से दूरी बनाए भक्त बुधवार को कोविड-19 के प्रोटोकॉल को भूल कर अपने आराध्य के साथ होली खेलने पहुंचे थे. भक्त देवाधिदेव महादेव और माता गौरा को अबीर गुलाल चढ़ाकर बाबा भोलेनाथ के गृहस्थ स्वरूप के दर्शन कर धन्य हुए. नर-नारी, किन्नर समेत हर कोई बाबा की इस अद्भुत छवि के दर्शन करने के लिए पहुंचा था.
होता है गवना
माना जाता है कि भोलेनाथ काशी में रंगभरी एकादशी के दिन अपनी अर्धांगिनी पार्वती का गवना कराने के लिए पहुंचते हैं. इस दिन भगवान भोलेनाथ की रजत प्रतिमा भक्त अपने कंधों पर रजत पालकी पर सवार होकर निकालते हैं. शहर भ्रमण करने के बाद भोलेनाथ की यह प्रतिमा भगवान विश्वनाथ मंदिर में पहुंचती है. जहां मुख्य शिवलिंग के ऊपर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को गोद में लिए गणेश की प्रतिमा के साथ स्थापित किया जाता है और फिर काशी विश्वनाथ मंदिर में भी जमकर होली खेली जाती है. पूरी रात होने वाले होली के हुड़दंग के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा.