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आखिर काशी में टीआरएस ने क्यों लगाई ये होर्डिंग, ये लगाए जा रहे मायने - तेलंगाना राष्ट्र समिति

काशी में तेलंगाना की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के 21 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में होर्डिंग लगाई गई है. इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. चलिए जानते हैं इस बारे में.

आखिर काशी में टीआरएस ने क्यों लगाई ये होर्डिंग, ये लगाए जा रहे मायने
आखिर काशी में टीआरएस ने क्यों लगाई ये होर्डिंग, ये लगाए जा रहे मायने

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Published : Apr 27, 2022, 7:22 PM IST

वाराणसीः काशी में तेलंगाना की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के 21 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में होर्डिंग लगाई गई है. लंका स्थित चौराहे पर लगी होर्डिंग में 3.5 करोड़ जनता का अभिवादन किया गया है. तेलंगाना के सीएम केसीआर को लोकप्रिय नेता बताया गया है. राजनीतिक पंडितों की मानें तो टीआरएस तेलगांना से निकलकर यूपी में अपने कदम बढ़ाना चाह रही है.

तेलंगाना राष्ट्र समिति की स्थापना 27 अप्रैल 2001 को के. चन्द्रशेखर राव (केसीआर) ने की थी. इसकी स्थापना के 21 साल पूरे हो गए हैं. यूपी की राजनीति में अब उनकी सक्रियता बढ़ रही है. कहा जाता है कि दिल्ली की सियासत में कब्जा करना है, उसके लिए लखनऊ से होकर गुजरना पड़ता है. लखनऊ की सियासत के लिए वाराणसी आना पड़ता है. शायद यही वजह है कि ज्यादातर बड़े नेता जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी के लिए वाराणसी राजनीति का बड़ा केंद्र है. अब टीआरएस की होर्डिंग काशी में लगने से इस पार्टी की भी यूपी में एंट्री के लिए कोशिश मानी जा रही है.

काशी में लगाई गई टीआरएस की होर्डिंग.


इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान के हेड कौशल किशोर मिश्र कहते हैं कि तेलंगाना राष्ट्र समिति के स्थापना दिवस की होर्डिंग बीएचयू के द्वार पर लगना कई संकेत दे रही है. पहला यह कि काशी में तेलंगाना से जुड़े कई लोग रहते हैं, इसका टीआरएस फायदा उठाना चाहती है. दूसरा यह कि यह पार्टी यूपी में अपनी पैठ बनाने के लिए भी कोशिश कर रही है. फिलहाल टीआरएस को इससे फायदा नहीं मिलने वाला है. वाराणसी से केजरीवाल, ममता, सपा, बसपा समेत अन्य पार्टियों ने ताल ठोकी थी लेकिन सभी आठों सीट पर हार हुई थी. लोकतंत्र में कही से भी चुनाव लड़ने का अधिकार है. के सीआर भी मोदी के खिलाफ बनारस से चुनावलड़ें.

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