वाराणसीः शिव की नगरी काशी में हर रंग अपने आप में अद्भुत और विचित्र है. ऐसे में बात यदि शिव की पसंदीदा भांग की कर लें तो भांग के भी यहां पर अलग-अलग रूप नजर आते हैं. इन्हीं रूपों में एक रूप भांग के बने कपड़ों का है, जो देशी-विदेशी सभी सैलानी व लोगों को खूब पसंद आ रहा हैं. उत्तरखंड में उगाई जाने वाली इस भांग से वहां की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं साथ ही भांग से बने कपड़े पहनने से त्वचा संबंधी रोगों भी नहीं होंगे. वहीं, इससे उत्तराखंड और काशी के संबंध में भी प्रगाढ़ता आएगी.
काशी में भांग से बने कपड़े आकर्षण का केंद्र बने
बता दें कि, इन कपड़ों को उतराखंड में तैयार किया जाता है. अल्मोड़ा जिले के हॉल बाग ब्लॉक के कुराली गांव में इसकी खेती होती है. वहां के कारीगरों के द्वारा इससे अलग-अलग उत्पाद को तैयार किया जाता है. भांग से बनने वाले कपड़ों की खासियत यह है कि यह पूरी तरीके से वातावरण के अनुकूल व आरामदायक है. यही वजह है कि महाशिवरात्रि के मौके पर बाजार में इन कपड़ों की देशी से लेकर विदेशी नागरिक हर कोई इस कपड़े को पसंद कर रहा है.
कपड़ा खरीदने आए दो विदेशी नागरिक मैरी और जॉन ने बताया कि, यह कपड़ा बेहद आरामदायक हैं. वह इसे गर्मियों के दिन में सहजता से पहन सकते हैं. यह न सिर्फ त्वचा को एलर्जी से सुरक्षित रखता है, बल्कि यह पर्यावरण को भी सुरक्षित रखता है. उन्होंने बताया कि कॉटन की तुलना में भांग के कपड़े उन्हें ज्यादा सेहतमंद व आरामदायक लग रहे हैं.
ऐसे बनते हैं भांग के कपड़े
वर्तमान में उत्तराखंड में इन कपड़ों को तैयार करने में लगभग 1,000 कारीगर जुटे हुए हैं. इस बारे में कपड़ा तैयार कराने वाले व्यापारी नरेंद्र चौहान बताया कि यह कपड़े पूरी तरह से भांग के रेशे से बनाए जाते हैं. इसे बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है. सबसे पहले भांग की लकड़ी को 2 हफ्ते तक पानी में भिगोया जाता है, उसके बाद इसे पीटा जाता है.