उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

काशी विश्वनाथ के मूल मंदिर स्थान के अधिकार का मामला, याचिका की पोषणीयता पर सुनवाई

सिविल जज (सीनियर डिविजन-वाराणसी) की कोर्ट में आदि विशेश्वर और भगवती श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार से संबंधित याचिका पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता द्वारा दलील दी गई कि चूंकि यह अपील 1991 के पूजा स्थल उपलब्ध विधेयक से बाधित है. इस याचिका में यूपी सेन्ट्रल बोर्ड पार्टी बनाया गया है और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद उसी का अंग है. अतः हमारे खिलाफ जो भी मुकदमा होगा. वह वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल को जाएगा. इसलिए यह याचिका पोषणीता पर खारिज किया जाए.

काशी विश्वनाथ के मूल मंदिर स्थान के अधिकार का मामला.
काशी विश्वनाथ के मूल मंदिर स्थान के अधिकार का मामला.

By

Published : Mar 12, 2021, 10:34 AM IST

वाराणसी:आज सिविल जज (सीनियर डिविजन-वाराणसी) की कोर्ट में आदि विशेश्वर और भगवती श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार से संबंधित याचिका पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता द्वारा दलील दी गई कि चूंकि यह अपील 1991 के पूजा स्थल उपलब्ध विधेयक से बाधित है. यह श्री विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट अधिनियम की संपदा होने के कारण ये किस हैसियत से आये हैं. ज्ञानवापी मस्जिद सेन्ट्रल वक्फ की संपदा होने के कारण 1995- वक्फ एक्ट से बार्ड करता है. चूंकि इस याचिका में यूपी सेन्ट्रल बोर्ड पार्टी बनाया गया है और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद उसी का अंग है. अतः हमारे खिलाफ जो भी मुकदमा होगा. वह वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल को जाएगा. इसलिए यह याचिका पोषणीता पर खारिज किया जाए.

दरसअल, काशी विश्वनाथ के मूल मंदिर स्थान, मां श्रृंगार गौरी, मां गंगा, भगवान हनुमान व नंदी की पूजा-अर्चना और अधिकार को लेकर हरिशंकर जैन एडवोकेट, रंजना अग्निहोत्री एडवोकेट सहित अन्य ने 18 फरवरी 2021 को यह दावा दाखिल किया था. प्रभारी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ने इसे प्रकीर्णवाद के रुप में दर्ज करते हुए याचिका की पोषणीयता पर सुनवाई के लिए उसे पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. वहीं अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने याचिका से संबंधित सभी तथ्यों को विस्तारपूर्वक 9 मार्च को कोर्ट के समक्ष रख दिया था जिस पर कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को अपना पक्ष रखने के लिए आज की तिथि नियत की थी.

निर्णय की तिथि 18 मार्च मुकर्रर
वहीं माता श्रृंगार गौरी आदि विशेश्वर के पूजा के अधिकार पर अधिवक्ता मदनमोहन यादव ने अपना पक्ष जोरदार ढंग से रखते हुए संविधान के अनुच्छेद-25 का हवाला देते हुए कहा कि स्तवन-पूजन, दर्शन हिन्दूओं का मौलिक अधिकार है. हमारे मौलिक अधिकार से हमें कोई वंचित नहीं कर सकता है. भगवान आदि विशेश्वर व भगवती श्रृंगार गौरी के ऊपर से कथित मस्जिद हटाया जाए. वहीं कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय की अगली तिथि 18 मार्च की मुकर्रर की है.

इसे भी पढे़ं-कानपुर सजेती गैंगरेप: डीएम ने परिवार को 5 लाख देने की घोषणा की

ABOUT THE AUTHOR

...view details