वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर के पुराने मुकदमे के मुख्य वादी हरिहर पांडेय का वाराणसी में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे 77 वर्ष के थे. काफी लंबे वक्त से उनका इलाज चल रहा था और हाल ही में उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथ सुंदरलाल अस्पताल में एडमिट करवाया गया था. जहां देर शनिवार की देर रात उनका निधन हो गया.
हरिहर पांडेय ही वह शख्स हैं, जिन्होंने 1991 में ज्ञानवापी से मस्जिद को हटाकर उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था. इसमें उनके साथ सोमनाथ विकास और संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे रामरंग शर्मा भई शामिल थे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अदालत में मुकदमा होने के कुछ साल बाद पंडित सोमनाथ विकास और रामरंग शर्मा का निधन हो गया था. जिसके बाद हरिहर पांडेय ही इकलौते पक्षकार बचे थे.
हरिहर पांडेय 33 साल से लड़ रहे थे ज्ञानवापी का केसःअदालत में हरिहर पांडेय 33 साल से ज्ञानवापी का केस लड़ रहे थे. वाराणसी के औरंगाबाद क्षेत्र के रहने वाले हरिहर पांडेय की किडनी में समस्या के बाद उनका इलाज जारी था. उनके बेटे प्रणय पांडे ज्ञानवापी के इस पूरे केस को लीगल तौर पर देख रहे थे. ज्ञानवापी में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के सर्वे के आदेश के बाद हरिहर पांडेय बेहद खुश हुए थे, क्योंकि वह लंबे वक्त से इस लड़ाई को लड़ रहे थे और सर्वे के लिए भी प्रयासरत थे.