प्रयागराज/वाराणसीःइलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी पूजा की अनुमति के मामले में सोमवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि काशी में शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी, इसीलिए वह स्वयंभू कहलाते हैं. इसका वर्णन काशी खंड में किया गया है. वहीं, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सोमवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. इस मामले में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. न्यायमूर्ति जेजे मुनीर इस मामले में सुनवाई कर रहे हैं.
सोमवार को हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने ऑनलाइन बहस में कहा कि सम्पत्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की मूर्ति में निहित है. हिंदू वहां 1947 के पहले से श्रृंगार गौरी की पूजा करते आ रहे हैं. उन्होंने केवल पूजा के अधिकार की मांग की है, जिससे याची के किसी विधिक अधिकार का उल्लघंन नहीं होता. उन्होंने यह भी कहा कि इस्लामिक कानून में दूसरे की संपत्ति पर इबादत कबूल नहीं होती.
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि स्कंद पुराण के अध्याय 99 और 100 के श्लोक संख्या 61 से 70 तक इसका विस्तृत वर्णन किया गया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति के रामास्वामी के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इस आदेश में यह स्पष्ट हो चुका है कि विश्वेश्वर नाथ मंदिर को मुहम्मद गोरी और मुगल शासक औरंगजेब के समय तोड़ा गया. कोर्ट ने मामले की सुनवाई को मंगलवार को जारी रखने का निर्देश दिया.