वाराणसीः छह दिसंबर का दिन हर किसी को याद है. आज ही के दिन साल 1992 में अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को ढहा दिया था. इस मुद्दे को लेकर सियासत काफी गर्म रही. हालांकि बड़े विवादों और लंबे समय के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा दिया गया. राम मंदिर का मामला शांत होने लगा तो अयोध्या और काशी को लेकर सियासत गर्म होने लगी. ऐसा कहा जाने लगा है कि बाबरी की जंग जीतने के बाद मथुरा और काशी की बारी है.
ज्ञानवापी और बाबरी मस्जिद को एक समझते हैं लोग
आमतौर पर लोगों में यह भ्रम देखने को मिलता है कि लोग बाबरी मस्जिद व ज्ञानवापी मस्जिद के मामले को एक समझते हैं. परंतु वास्तविकता इससे इतर हैं. ज्ञानवापी मस्जिद का क्या मामला है किस तरीके से यह अलग है. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने बाबरी मस्जिद के मामले को करीब से देखने वाले व ज्ञानवापी मस्जिद इंतजामियां कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एसएन यासमीन से बातचीत की.
बाबरी मस्जिद से अलग है ज्ञानवापी मस्जिद मामला
ज्वाइंट सेक्रेटरी एसएन यास्मीन ने बताया कि बाबरी मस्जिद और ज्ञानवापी मस्जिद का मामला पूरी तरीके से अलग है. वहां पर मस्जिद में ताला बंद कर दिया गया था. नमाज अदा नहीं होती थी. परंतु ज्ञानवापी मस्जिद में हर दिन पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है. हर त्योहार मनाया जाता है. यहां शिवरात्रि के साथ जुम्मे की नमाज भी अदा की जाती है.
लोगों में नहीं है कोई टकराव
एसएन यास्मीन ने बताया कि मस्जिद को लेकर आमजन में किसी भी प्रकार की कोई टकरार देखने को नहीं मिलती है. बाबरी मस्जिद में नमाज अदा नहीं की जाती थी. ना ही वहां कोई इबादत के लिए जाता था. परंतु ज्ञानवापी मस्जिद में लोग इबादत करने के लिए जाते हैं. मंदिर में लोग दर्शन पूजन करते हैं. ज्ञानवापी मस्जिद व बाबरी मस्जिद को आपस में जोड़ना उचित नहीं है. दोनों मामले बिल्कुल भिन्न है.