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जानें बाबरी मस्जिद से कैसे अलग है ज्ञानवापी मस्जिद

यूपी के वाराणसी में अक्सर ज्ञानवापी मस्जिद की तुलना बाबरी मस्जिद से की जाती है. जबकि सच्चाई इससे इतर है. ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एसएन यासमीन का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद में बाबरी मस्जिद जैसा कोई विवाद नहीं है.

जानें बाबरी मस्जिद से कैसे अलग है ज्ञानवापी मस्जिद
जानें बाबरी मस्जिद से कैसे अलग है ज्ञानवापी मस्जिद

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Published : Dec 6, 2020, 11:04 PM IST

वाराणसीः छह दिसंबर का दिन हर किसी को याद है. आज ही के दिन साल 1992 में अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को ढहा दिया था. इस मुद्दे को लेकर सियासत काफी गर्म रही. हालांकि बड़े विवादों और लंबे समय के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा दिया गया. राम मंदिर का मामला शांत होने लगा तो अयोध्या और काशी को लेकर सियासत गर्म होने लगी. ऐसा कहा जाने लगा है कि बाबरी की जंग जीतने के बाद मथुरा और काशी की बारी है.

ज्ञानवापी मस्जिद में हर दिन की जाती है पांच वक्त की नमाज अदा.

ज्ञानवापी और बाबरी मस्जिद को एक समझते हैं लोग
आमतौर पर लोगों में यह भ्रम देखने को मिलता है कि लोग बाबरी मस्जिद व ज्ञानवापी मस्जिद के मामले को एक समझते हैं. परंतु वास्तविकता इससे इतर हैं. ज्ञानवापी मस्जिद का क्या मामला है किस तरीके से यह अलग है. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने बाबरी मस्जिद के मामले को करीब से देखने वाले व ज्ञानवापी मस्जिद इंतजामियां कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एसएन यासमीन से बातचीत की.

बाबरी मस्जिद से अलग है ज्ञानवापी मस्जिद मामला
ज्वाइंट सेक्रेटरी एसएन यास्मीन ने बताया कि बाबरी मस्जिद और ज्ञानवापी मस्जिद का मामला पूरी तरीके से अलग है. वहां पर मस्जिद में ताला बंद कर दिया गया था. नमाज अदा नहीं होती थी. परंतु ज्ञानवापी मस्जिद में हर दिन पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है. हर त्योहार मनाया जाता है. यहां शिवरात्रि के साथ जुम्मे की नमाज भी अदा की जाती है.

लोगों में नहीं है कोई टकराव
एसएन यास्मीन ने बताया कि मस्जिद को लेकर आमजन में किसी भी प्रकार की कोई टकरार देखने को नहीं मिलती है. बाबरी मस्जिद में नमाज अदा नहीं की जाती थी. ना ही वहां कोई इबादत के लिए जाता था. परंतु ज्ञानवापी मस्जिद में लोग इबादत करने के लिए जाते हैं. मंदिर में लोग दर्शन पूजन करते हैं. ज्ञानवापी मस्जिद व बाबरी मस्जिद को आपस में जोड़ना उचित नहीं है. दोनों मामले बिल्कुल भिन्न है.

अयोध्या से अलग है बनारस
एसएन यास्मीन ने बताया कि भौगोलिक और सांस्कृतिक स्तर पर अयोध्या से बनारस बिल्कुल अलग है. बनारस में 25 से 30% आबादी मुस्लिम बंधुओं की है. जबकि अयोध्या में उनकी आबादी बिल्कुल कम थी. उन्होंने बताया कि बनारस की संस्कृति गंगा जमुना तहजीब की संस्कृति है. यहां हिंदू भी रोजा रखता है और मुस्लिम भी नवरात्रि में सुंदरी चढ़ाता है.

हिंदू-मुस्लिम के व्यापारिक संबंध हैं मजबूत
एसएन यास्मीन ने बताया कि यहां हिंदू और मुस्लिम में व्यापारिक संबंध भी बेहद मजबूत है. यदि मुस्लिम साड़ी बनाता है तो वह हिंदू की गद्दी पर जाकर बिकती है. इस लिहाज से बनारस अयोध्या से एकदम भिन्न है और यहां की गंगा जमुना तहजीब यहां की मजबूती है. इस वजह से मंदिर-मस्जिद को लेकर किसी को कोई दिक्कत नहीं है.

ज्ञानवापी मस्जिद को नहीं है कोई खतरा
ज्वाइंट सेक्रेटरी ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद को कोई खतरा नहीं है. सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है. सीआरपीएफ, पीएससी और सिविल पुलिस के द्वारा मंदिर मस्जिद की सुरक्षा की जाती है. उन्होंने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से हम बेहद संतुष्ट हैं. हमें उम्मीद भी है कि यह सुरक्षा सदैव ऐसी बनी रहेगी.

सुरक्षा को लेकर किये व्यापक इंतेजाम
एसएन यास्मीन ने बताया कि सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए मस्जिद की कंट्रोल रूम वाली जमीन को भी बदलने की बात चल रही है. इसे लेकर हमने अपने कमेटी में बातचीत भी की वहां से भी रजामंदी मिल गई है. कंट्रोल रूम के स्थान को बदलकर वहां सुरक्षा को लेकर और व्यापक इंतजाम किए जाएंगे.

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