वाराणसी :ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मामले में सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के आदेश के खिलाफ दायर की गई निगरानी याचिका पर सुनवाई पांच अगस्त तक टल गई है. जिला जज आशुतोष तिवारी के सर्वेक्षण के फैसले के खिलाफ सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ और अंजूमन इंतजामिया कमेटी ने निगरानी याचिका दाखिल की थी, जिसपर नौ जुलाई को वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आपत्ति जताई थी और याचिका को निरस्त करने की मांग की थी.
ज्ञानवापी मस्जिद केस पर टली सुनवाई, अगली तारीख पांच अगस्त - काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद
ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मामले में कोर्ट के पुरातात्विक सर्वेक्षण (archaeological survey) कराने के आदेश के खिलाफ दायर की गई निगरानी याचिका पर सुनवाई पांच अगस्त तक टल गई है. मंगलवार को सुन्नी सेंट्रल बोर्ड और अंजूमन इंतजामिया मस्जिद को अपना पक्ष रखना था, लेकिन इन्होंने कोर्ट से इसके और लिए समय मांगा.
मंगलवार को इस पर सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ के अधिवक्ता अभय नाथ यादव, अंजूमन इंतजामिया मस्जिद के अधिवक्ता रईस अहमद अंसारी और मुमताज अहमद को अपना पक्ष रखना था, लेकिन इन्होंने कोर्ट से इसके और लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए पांच अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी.
ज्ञानवापी मामले में सिविल कोर्ट ने 8 अप्रैल 2021 को फैसला सुनाते हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया था. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी थी. कोर्ट ने इस मामले में 5 लोगों की टीम बनाकर पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया था. इसमें मुस्लिम पक्ष से भी 2 लोगों को शामिल करने का आदेश दिया था. सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सर्वे का फैसला सुनाया था. कोर्ट ने विवादित स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने, खुदाई कराने और उसकी आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए आदेश जारी किया था.
इसे भी पढ़ें-काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मुस्लिम पक्ष ने दी 1700 वर्ग फीट जमीन
स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि जनपद न्यायाधीश वाराणसी के न्यायालय में दोनों सिविल निगरानी जो यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद दोनों के द्वारा दाखिल की गई थी. उन दोनों में मंदिर पक्ष की ओर से आपत्ति के प्रति आपत्ति दाखिल करने के लिए न्यायालय के द्वारा पूर्व में समय दिया गया था. आज उन्हें दाखिल करना था, लेकिन उन्होंने दाखिल नही किया. इसलिए आज उन्होंने पुनः एप्लिकेशन देकर के प्रति उत्तर दाखिल करने के लिए कोर्ट से और समय मांगा. जिसे न्यायाधीश के द्वारा स्वीकार्य करते हुए उन्हें 5 अगस्त 2021 तक का समय दिया गया है.